NDTV मामले में मोदी सरकार की इमेज मलीन हुई

NDTV इंडिया पर बैन घोषित कर सूचना प्रसारण मंत्रालय ने खामखा पंगा लिया था. निस्संदेह रूप से इससे मोदी सरकार की इमेज मलिन हुई. सरकार के मंत्रियों और मंत्रालयों को इस तरह का कोई भी निर्णय लेते वक्त यह ध्यान में रखना चाहिए कि मौजूदा बीजेपी सरकार को बनाने में काँग्रेस सरकार से लोगों की घोर निराशा के साथ साथ मोदी की विकासवादी छवि का ही मुख्य रूप से योगदान है.

लेकिन बाजेपी सरकार बनने के बाद हिंदू महासभा जैसे संगठन, साध्वी प्राची, साक्षी महाराज जैसे कथित हिंदू नेता और आम हिन्दू अतिवादी जिस तरह से साम्प्रदायिक उन्माद और नफरत फैला रहे हैं, वह मोदी सरकार और हमारे देश दोनों के लिए घातक है.

सोशल मीडिया और सड़कों पर जिस तरह का हिन्दू चेहरा और सोच लहरा रहे हैं, वह न राष्ट्रप्रेम है न हिन्दूवाद! राम पुरुषोत्तम इसलिए थे कि उन्होंने समाज के सामने हर रिश्ते की मर्यादाओं को स्थापित किया. लेकिन मोदी भक्ति, हिन्दूवाद और देश भक्ति के नाम पर जो प्रदर्शित किया जा रहा है, वह बेहद अमर्यादित है. दूसरों के विचारों का भी सम्मान करना हमारी संस्कृति है. दुश्मनों के साथ भी मित्रता निभाना, उनके साथ मानवीय दृष्टिकोण रखना हमारी संस्कृति है, लेकिन तमाम किस्म की भक्ति के नाम पर जो कचरा गली समाज में परोसा जा रहा है वह हमारी संस्कृति नहीं है. ऎसा करते हुए ऎसे लोगों का कहना है कि बदमाशों के साथ बदमाशों की तरह ही पेश आना चाहिए. भाई, हम लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं. आलोचनाएँ खाद पानी हैं, इंसानियत से हटना हिन्दुत्व से विमुख होना है.

इसमें कोई दो राय नहीं कि कुछ लोग और वर्ग बीजेपी सरकार को लेकर आग्रहों से भरे हैं. कई बार वे मर्यादा की सीमा भी लाँघ जाते हैं, लेकिन सरकार और मंत्री भी वैसा ही बर्ताव करेंगे तो जनता माफ नहीं करेगी, क्योंकि हमारे देश की पब्लिक चाहे कितनी भी अशिक्षित हो, इंसानियत और न्याय के मामले में बेहद समझदार है और संवेदनशील भी. बहुमत के मद में पगलायें नहीं, सुशासन की मिसाल पेश करें. पाकिस्तानियों को मुँहतोड़ जवाब देने भर से हमारे देश की समस्याएँ खत्म नहीं होनेवाली. भूख, बेकारी, अशिक्षा और बेरोजगारी से आक्रांत आम मतदाताओं को निजात दिलाने के लिए काम करना होगा. जबकि अबतक के परिणाम विपरीत हैं. महँगाई तेजी से और काफी बढ़ी है. आम आदमी की परेशानियाँ कम होने के बजाय बढ़ी हैं. बाकी आपलोग खुद समझदार हैं.

(धनंजय कुमार की वॉल से साभार)

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