पूरे दो दशकों के बाद नवभारत टाइम्स के मालिक फिर से इस अख़बार का प्रकाशन उसी “अतीत” के साथ लखनऊ से करने जा रहे जो इसके संपादक तथा हिन्दी पत्रकारिता के एवरेस्ट श्री राजेन्द्र माथुर के प्रगतिशील नेतृत्व, बहुआयामी व्यक्तित्व व उनके कुशल निर्देशन में उनकी परिश्रमी टीम की वजह से ही बना जिस पर खुद उन्हें गर्व ही नहीं बल्कि कम्पनी उस विश्वसनीयता को आज भुनाने के लिए लखनऊ की जनता को याद दिला रही है की हम उसी अतीत की विरासत को लेकर फिर आपके बीच आ रहे हैं…. हर महफ़िल में राजेन्द्र माथुर जी कहते रहते थे सबसे अच्छी टीम उन्होंने लखनऊ की ही बनाई है.… जरा सोचिये की आज उसी टीम को अपना कहने से बेनेट कोलमैन कतरा रही है…
क्या जमाना आ गया कि मालिक “अतीत” पर तो अपना हक़ जता रहे हैं पर इसे बनानेवालों को अपना नहीं मानते। सिर्फ़ पूँजी निवेश करने मात्र से कोई अतीत और विरासत का हक़दार नहीं बन जाता है इसका श्रेय उन लोगों को जाता है जिनका श्रम और बौद्धिकता उसे बनाने में लगती है … पर ये बात अख़बार को product बताने की समझ रखने वाले भला कैसे महसूस कर सकते हैं ?
नवभारत टाइम्स लखनऊ से रामपाल सिंह, डॉ नन्द किशोर त्रिखा, विष्णु खरे, राम कृपाल सिंह, मधुसूदन आनन्द, कमर वहीद नकवी, प्रमोद जोशी, सुधांशु श्रीवास्तव, शैलेश, नवीन जोशी, प्रदीप कुमार, राजीव मित्तल, आ. कु. श्रीवास्तव, गिरीश मिश्र, ज्ञानेंद्र शर्मा, गोविन्द राजू, आलोक जोशी, कमाल खान, रूचि कुमार, जैसे बहुत से रत्त्न इस देश की पत्रकारिता को दिए… इन्ही का कामकाज नवभारत टाइम्स का “अतीत” है जिस पर भरोसा कर के लखनऊ के लगभग २.५ लाख पाठकों ने अभी से ही अपनी प्रतियाँ अग्रिम रूप से बुक करा दीं हैं…विडम्बना देखिये कि कंपनी ने अब इस विरासत को “नयी नज़र” देने का काम सुधीर मिश्र जैसे “प्रतिभाशाली” व्यक्ति को दिया है जिनका इसके गौरवशाली अतीत से दूर -दूर तक भी कुछ लेना-देना नहीं रहा है…
क्या नवभारत टाइम्स के मालिक इस बात का भी विज्ञापन निकाल कर ये दावा कर सकते हैं की इन सब प्रतिभाओं का उस “अतीत” से कुछ लेना देना नहीं है जिसे वो लखनऊ के भोले-भाले लोगों गुमराह कर के भुना रहे है ??? २२ जुलाई को १२ बजे से टाइम्स ऑफ़ इंडिया ऑफिस के सामने नवभारत टाइम्स के १९९३ में छटनी किये गए पत्रकारों व कर्मचारियो को वापस सेवा में लेने की मांग को लेकर देश प्रदेश के श्रमिक और कर्मचारी संगठनों ने धरने व् प्रदर्शन का ऐलान किया है. न्याय के लिए इस लड़ाई में हम आप सबके सहयोग व समर्थन का आव्हान करते हैं। आपकी उपस्थिति सच की इस लड़ाई को मजबूती देगी.
(मुदित माथुर के एफबी से)