तारकेश कुमार ओझा
कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव में विचित्र घटना हुई। जिसने रिश्तों की मर्यादा को तार – तार तो किया ही, साथ ही इस ओर भी इशाऱा किया कि क्षणिक शारीरिक सुख की चाह किस भयानक गति से समाज के हर वर्ग में बढ़ रही है। जमाने की बेरुखी से तंग आकर प्रेमी युगलों का मौत को गले लगा लेने की घटनाएं तो समाज मेैं जब – तब हुआ ही करती है। उस गांव में भी एक जोड़े का शव खेतों में पड़ा मिला । लेकिन इसके बावजूद यह सामान्य अवैध संबंध के दूसरे मामलों से बिल्कुल अलग इसलिए था क्योंकि मृतकों में शामिल 35 साल की महिला और 23 साल के युवक रिश्ते में सास औऱ दामाद थे। इन दोनों के बीच अवैध संबंध रिश्तों की डोर में बंधने से पहले ही कायम हो चुका था। सामान्य परिवारों से ताल्लुक रखने वाला यह जोड़ा अपने संबंध को आगे भी कायम रखने के लिए स्वेच्छा से और दिखावे के लिए रिश्तों की डोर में बंधा।
बताते हैं कि इसके लिए महिला का खासा दबाव था। प्रेमी को खोना न पड़े, इसके लिए महिला ने अपनी 14 साल की नाबालिग बेटी की जबरन शादी अपने प्रेमी से करा दी। रिश्तों की नाजुक डोर के चलते दोनों के सहज रूप में मिलने – जुलने पर कभी किसी को शक नहीं हुआ। लेकिन दोनों को रंगे हाथों पकड़ा तो महिला की बेटी ने ही। पुलिस तफ्तीश से निकले निष्कर्ष के मुताबिक पहली बार पकड़े जाने पर महिला ने अपनी विवाहित नाबालिग बेटी की जान लेने की असफल कोशिश तक की थी। धीरे – धीरे बात सार्वजनिक हो जाने पर गांव वालों ने पंचायत लगा कर जोड़े पर इस अवैध रिश्ते को खत्म करने के लिए दबाव डाला। जिसके बाद दोनों गायब हो गए। दूसरे दिन सुबह दोनों की लाशें खेतों के बीच मिली। सामने ही जहर की शीशी रखी हुई थी। जो इस बात की गवाह थी कि इस अनैतिक रिश्ते को खत्म करने के बजाय दोनों ने खुद को ही खत्म कर लेना बेहतर समझा।
अवैध संबंध की एक सामान्य घटना प्रतीत होने के बावजूद यह समाज में बढ़ रही गंभीर विकृति की ओर भी इशाऱा करती है। समाज के हर वर्ग में आखिर क्यों दैहिक सुख की चाह इस भयावह तरीके से बढ़ रही है कि वह किसी की जान लेने या अपनी जान देने से भी पीछे नहीं रहती। इस पर समाज शास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों को गंभीर विश्वेषण करना चाहिए। क्योंकि समाज के उस निचले वर्ग में जिसके लिए भौैतिक सुख – सुविधाएं हासिल करने के बजाय अपना अस्तित्व बचाना ही एक बड़ी चुनौती है, यदि यह विकृति बढ़ने लगे तो इसका भयानक दुष्प्रभाव कई निर्दोष जिंदगियों पर भी पड़ना तय है। जैसा इस मामले में हुआ। मौत को गले लगा लेने वाले जोड़े में शामिल महिला की नाबालिग बेटी की जिंदगी उसकी मां की सनक के चलते पूरी तरह से बर्बाद हो गई। वहीं नौजवान प्रेमी के माता – पिता का बुढ़ापे का सहारा छिन गया। सामान्य चिंतन से तो यही प्रतीत होता है कि वैसे लोग जिनके लिए परिस्थितयां हमेशा प्रतिकूल होती है, और मन की न्यूनतम चाह भी पूरी नहीं हो पाती। वे अवैध संबंधों से हासिल होने वाले क्षणिक व तात्कालिक सुख के इस कदर आदी हो जाते हैं कि किसी भी कीमत पर उसे छोड़ना नहीं चाहते, जिसकी परिणति हमेशा भयावह औऱ दुखद ही होती है।
(लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।)