अभिषेक श्रीवास्तव-
आज एक कैब ड्राइवर से तीन नयी जानकारी मिली। पहली, ओला और उबर की कैब महिलाएं भी चलाती हैं। मेरे लिए ये बिलकुल नयी सूचना है। दूसरी बात, कुछ बड़ी कंपनियों के सीईओ और लखटकिया वेतन वाले कर्मचारी भी रात में अपने जेबखर्च और मौज के लिए कैब चला रहे हैं।
तीसरी जानकारी ज़्यादा दिलचस्प है। वे कह रहे थे कि ओला और उबर जैसी कंपनियों के दिन लदने वाले हैं क्योंकि रिलायंस 50,000 कैब के साथ अपनी सेवा शुरू करने जा रही है जिसमें चालकों को डबल सैलरी मिलेगी। वे बोले, ”जब इतनी ही देर गाड़ी चलाने का महीने में लाख रुपया तक बनेगा तो कौन ओला उबर चलायेगा? देखते जाइये साहब, हर आदमी नौकरी छोड़कर ड्राइवर बन जायेगा आने वाले दिनों में। मोदीजी देश चलाएंगे और हम लोग अम्बानी की गाड़ी।”
मैंने पूछा सब गाड़ी ही चलाएंगे तो सफ़र कौन करेगा! वे मुंह में शिखर का पाउच फाड़ते हुए बोले, ”सफ़र तो भाई साब एक ही आदमी करेगा इस देश में।” कौन??? “वही, जो ढाई साल से दुनिया भर का सफ़र कर रिया है…।” वाक्य के अंत में अचानक एक “भैं-चो” सी आवाज़ सुनाई दी और ड्राइवर ने झटके से टॉप गियर में गाड़ी डाल दी।
(अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से साभार)