अमिताभ श्रीवास्तव
राहुल और मोदी की प्रचार शैली में एक बहुत बड़ा अंतर दिख रहा है । राहुल गरीबी में पले बढ़े नहीं है लेकिन गरीबों और आम लोगों के बीच ज्यादा ज़मीनी, स्वाभाविक और सहज उपलब्ध दिखते हैं जबकि मोदी अपने अभावग्रस्त पृष्ठभूमि और चायवाले आईडेंटिटी कार्ड को जम कर दिखाने के बावजूद अपनी रैलियों में अभी से स्वयं को प्रधानमंत्री मानकर अहंकारी स्वर में गर्वोक्तियों पर कूद-फांद जाते हैं ।
नतीजा चाहे जो भी हो लेकिन राहुल की ईमानदार कोशिशों की अनदेखी नहीं की जा सकती। केजरीवाल तो खैर अभी आम आदमी के सबसे लोकप्रिय ब्रांड एंबेसडर हैं ही। देखना दिलचस्प होगा कि राहुल और केजरीवाल मोदी को कितना घेर पाते हैं