जगदीश्वर चतुर्वेदी
जी-20 के सारे नेता समय पर आए और समय पर अपने -अपने देश चले गए। राष्ट्राध्यक्षों के पास देश के अंदर काम होते हैं। वे घूमने और सरकारी काम में घालमेल नहीं करते। लेकिन मोदी यह घालमेल कर रहे हैं। सरकारी दौरे को पार्टी दौरे और पर्यटन की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। मोदी कम से कम चीन से ही सीख लें!!
आस्ट्रेलिया में बहुत बड़ी संख्या में चीनी भी रहते हैं,लेकिन चीन के राष्ट्रपति को जन-सम्मान की आस्ट्रेलिया में जरुरत नहीं पड़ती! लेकिन प्रधानमंत्री मोदी भी खूब हैं,विदेशों में जन-सम्मान के जलसे करा रहे हैं। इन जलसों से भारत के प्रधानमंत्री की गंभीर राजनेता की इमेज नहीं बन रही। उन्हें मज़मेबाज़-सैरसपाटेबाज़ प्रधानमंत्री के रुप में देखा जा रहा है। विदेशयात्राएं पार्टी के हितों के विस्तार के लिए नहीं होतीं। गरीब देश का प्रधानमंत्री विदेशों में करोड़ों रुपये अपने ऊपर जन-सम्मान के नाम पर खर्च कराए यह कूटनीति नहीं मूर्खनीति है।
किसी भी नेता को वहां की सरकार जन-सम्मान दे तो समझ में आता है ,स्वयं मोदी का अपने लोगों या भारतीयों से जन-सम्मान प्रायोजित कराएं यह तो समझ में नहीं आता,यह तो वैसे ही हुआ कि अपने ही हाथों अपने गले में माला डालना। मोदी और उनके सलाहकार सोचें कि मोदी के विदेशों में प्रायोजित जन-सम्मानों से भारत की इमेज कहीं खराब तो नहीं हो रही है ?
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