दीपक शर्मा @fb
198 मिनट की फिल्म शोले किसी गब्बर सिंह या ठाकुर पर स्क्रिप्ट नही की गयी थी. सलीम जावेद ने इस फिल्म को वीरू और जय पर फोकस किया था. दोनों की दोस्ती और दोनों का एकजुट होकर गब्बर से भिड़ना ही शोले की थीम थी.
क्या शोले के सीक्वल में कभी वीरू और जय को अलग किया जा सकता है ?
क्या ठाकुर इन दोनों को कभी एक दूसरे के सामने खड़ा कर सकते हैं ?
क्या ‘तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे’ वाली दोस्ती तोड़ी जा सकती है ?
रामगढ की शोले में तो ये मुमकिन नही है लेकिन रामलीला की शोले में ऐसा ही हुआ.
शोले का ये नया सीक्वल दिल्ली में 7 फरवरी को रिलीज़ होगा.
अन्ना के वीरू और जय इस सीक्वल में आमने सामने होंगे और इनमे कौन बेहतर है ये दिल्ली की जनता तय करेगी .
भ्रस्टाचार के गब्बर के लिए इससे ज्यादा अच्छी खबर क्या होगी ?
मित्रों कोई माने या न माने , किरण बेदी और केजरीवाल का एक दूसरे से भिड़ना ही भ्रस्टाचार की सबसे बड़ी जीत है. ये देश का दुर्भाग्य है. ये हमारे और आप जैसे वंचितों कि एक और त्रासद कथा का दुखद अध्याय है.
किरण और केजरी की इस आपसी कलह ने देश में जनता के सरोकार, सिविल सोसाइटी की धार और देश हित में एक बृहद आन्दोलन को खतम कर दिया है. शायद एक लम्बे वक़्त के लिए.
भई, मोदी जी, मान गये आपको.
तुस्सी ग्रेट हो.