नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान से युद्ध की जगह गरीबी से लड़ाई लड़ने की बात कही उससे पूरी तरह सहमत हूँ। उम्मीद है कि मोदी के स्पीच से युद्ध का पागलपन समाप्त हाोगा। मैं आज से दो साल पहले भी युद्ध,उन्माद और एक के बदले दस सर कलम करने की जुबानी युद्ध को जायज नहीं मानता था। न आज मान रहा हूं। न कल मानूंगा। मेरे विचार जो 2013 में थे वही 2015 में है वही 2017 में रहेंगे। और आगे भी।
आज कल कुछ “रेडीमेड” देशभक्तों की बाढ़ देश में आ गयी है.इनकी मानें तो भारत को पाकिस्तान पर तुरंत अटैक कर देना चाहए और एक घंटे में फ़तेह कर इस्लामाबाद में तिरंगा फ़हरा देना चाहये .उनके लिए युद्ध और छुट्टी के दिन मॉल जाना मानो एक जैसा ही काम हो.युद्ध की खौफनाक हकीकत से दूर।
युद्ध में जीत की भी कीमत क्या चुकानी पड़ती है इसके लिए इतिहास के पुराने पन्ने पलट सकते हैं. युद्ध जीत देती है. फ़क्र करने का मोमेंट भी देती है. लेकिन इसके बदले बहुत कुछ बहा कर जाती है .बड़े त्याग की मांग करती है. युद्ध एक ऐसा लम्हा है जिसमे चंद पल खता करती ,पीढ़िया सजा पाती है।
अगर आपको लगता है सिर्फ युद्ध उत्तर है तो आप गलत सवाल कर रहे हैं. अपने जवान को सम्मानपूर्वक कैसे बचाएं इसके लिए बात होनी चाहये न कि इसके बदले हजार और जवानों की जिदंगी को दांव पर लगा दें ऐसा भड़काना चाहए। इतिहास में युद्ध सी हुई तबाही की कहानी भी है, बिना युद्ध के हल हुए मसले के भी मिसाल।
आज नरेन्द्र मोदी ने कहा-भारत-पाकिस्तान दोनों साथ अाजाद हुआ और 70 साल भारत सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट करता है और पाकिस्तान आतंकवाद। यही फर्क है। आज पूरे विश्व में अगर पाकिस्तान के मुकाबले भारत की बात अधिक सुनी जाती है तो इसका कारण है कि भारत एक संयमित देश रहा है। जिम्मेदारी के साथ रहा है। उन्मादी नहीं रहा। वरना विश्व को भारत से कोई रिश्तेदारी नहीं है कि अगर वह भी पाकिस्तान की तरह बिहेव करे तो भी उतना ही सपोर्ट मिले। नार्थ कोरिया तो बहुत ताकतवर देश है। क्या उसकी तरह बनने की कोशिश करेंगे?
जिस देश में चंद रुपये की कीमत बढ़ने पर बवाल हो जाता है वहां युद्ध के बाद जब इकोनोमी जर्जर हो जाएग तब क्या करेंगे? वार स्टेट में विश्व का कोई देश पैसा नहीं लगाता है। देश का सारा पैसा जो डवलपमेंट पर लगनी चाहिए वह वार में खर्च होगा। और यह तब भी ठीक था जब हम बिना नुकसान का होता। बतौर सुब्रमण्यन स्वामी-पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ तो क्या होगा। हमारे 10 करोड़ मरेंगे। लेकिन पाकिस्तान तो तबाह हो जाएगा। नामोनिशान समाप्त हो जाएगा। अगर आप अपनों को इन 10करोड़ में देखना चाहते हैं तो फिर युद्ध के लिए सीटी बजाते रहें। देश में फर्जी जोशवाले युद्ध मार्ग से गुजरता है लेकिन जिम्मेदार तंत्र हमेशा बुद्ध मार्ग को चुनता है।
(नरेंद्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार)