सुशांत सिन्हा
वक़्त कभी एक सा नहीं रहता। वो वक़्त भी देखा जब मीडिया लालू के पीछे भागता था। लालू रोज़ न्यूज़ में होते थे। उनकी होली,उनका छठ … सब नेशनल न्यूज़ था। फिर बिहार की सत्ता गयी, और बाद में केंद्रीय मंत्री का पद। लालू मानों गायब हो गए। किसी को ध्यान नहीं था कि दाल,भात,चोखा खाकर लालू सोये हैं या जाग रहे हैं।
एक दिन की घटना बताता हूँ। तब मैं न्यूज़ 24 में था। मैं और मेरे एक वरिष्ठ, PCR में कुछ दिशा निर्देश देने गए। अचानक ही हम दोनों की नज़र एक साथ उस बड़ी स्क्रीन पर गयी जिसमें अलग अलग विंडो में अलग अलग फीड आते दिखते हैं। हमने देखा एक विंडो में लालू हमारी एक महिला रिपोर्टर के साथ खड़े लाइव आने का इंतज़ार कर रहे थे।
मैंने पैनल वाले से पूछा कि ये क्या फीड आ रही है तो पता चला कि लालू को आधे घंटे से खड़ा कराकर रखा हुआ था उनलोगों ने, छठ पर लाइव लेने के लिए। और लालू यादव खड़े थे, बिना कोई चूं किये। ध्यान आ रहा था वो दिन जब मीडिया लालू के मुख्यमंत्री आवास के बाहर खड़ा रहता था और लालू इंतज़ार करवाते थे, और उस दिन तस्वीर थी तो इंतज़ार की ही लेकिन किरदारों ने अपनी जगह बदल ली थी।
वक़्त फिर पलटा है। लालू और बिहार की राजनीति, दोनों रोज़ हैडलाइन बन रहे हैं। कब तक बनेंगे पता नहीं, लेकिन ये तय है कि वक़्त एक सा नहीं रहता।
(स्रोत-एफबी)