- विनीत कुमार, मीडिया विश्लेषक
सोशल मीडिया के डर्टी पिक्चर में शामिल न होने के लिए थैंक्यू विद्या बालन :
कोबरापोस्ट ने सोशल मीडिया पर राजनीतिक पार्टी/बहुमत की सरकार के पक्ष में पोस्ट लिखने को लेकर जो स्टिंग ऑपरेशन किया है, उससे ये समझना मुश्किल नहीं है कि साल 2007-08 में जो पेड न्यूज का शोर मचा, वो अब फेक न्यूज की कॉबो ऑफर के साथ आपके सामने हैं. देशहित में बड़ी-बड़ी बात करनेवाले बेनकाब होते नजर आ रहे हैं. मुझे अभी तक समझ नहीं आ रहा कि बैकडोर से लाखों-करोड़ों काला धन लेकर देश का किस तरह से वो कल्याण करेंगे ?
ऐसा करते वक्त उनके दिमाग में एक जरा भी इस बात का ख्याल क्यों नहीं आया कि एक तरफ सरकार इस देश से भ्रष्टाचार रोकने में जी-जान से जुटी है तो फिर उनका समर्थक होकर आखिर हम ऐसा काम करेंगे तो उनकी क्या छवि बनेगी ? पैसे लेकर ही ट्विट करना है, स्टेटस अपडेट करना है तो बिल्कुल व्हॉइट मनी के साथ करो. सरकार पर दबाव बनाकर पेड स्टेटस को कानूनी मान्यता दिलवाओ. ये क्या कि एक तरफ जिस राजनीतिक दल के लिए काम कर रहे हो, दूसरी तरफ उसी की इज्जत उछाल रहे हो.
खैर इसी स्टिंग में एक सूची उन बॉलीवुड कलाकारों की है जिन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया. अरसद बारसी, रजा मुराद ऐसे ही कलाकार हैं. मेरा ध्यान विद्या बालन पर जाकर अटक गया. हम सब जानते हैं कि विद्या बालन ने सरकारी पैसे लेकर घर-घर शौचालय बनवाओ अभियान को आगे बढ़ाया जो कि बेहद लोकप्रिय भी रहा. लेकिन गलत तरीके से पैसे लेकर पक्ष में माहौल बनाने से साफ इनकार कर दिया. ये होती है ईमानदारी और असल देशभक्ति. वो जनहित विज्ञापन के जरिए सरकार के पक्ष में जरूर काम करती रहीं लेकिन वो काम नहीं किया जो स्वयंभू चरम राष्ट्रभक्त अभिनेताओं ने करने के लिए हामी भरी. इसे कहते हैं रीढ़ बचाकर काम करना.
निजी जीवन में बेईमान और सिस्टम के दीमक होकर आप किसी भी हालत में देशभक्त नहीं हो सकते. देश के लिए भला सोचने के लिए बेहद जरूरी है कि निजी जीवन में ऐसा कुछ न करें जिससे कि देश को भीतरी तौर पर नुकसान पहुंचे.
वैसे आप गूगल पर कैम्पा कोला कंपाउड और सोशल मीडिया टाइप करेंगे तो आपको समझ आ जाएगा कि ये खेल भी नया नहीं है, काफी पुराना है। तस्वीर – #cobrapost #operationkaraoke
(लेखक के एफबी वॉल से साभार)