सुशांत सिन्हा,एंकर,इंडिया न्यूज़
तो केजरीवाल साहब ने एक दिन के विधानसभा सत्र का खर्च सिर्फ इसलिए करवा दिया ताकि सौरभ भारद्वाज एक डिब्बे पर EVM हैकिंग का डेमो दिखा सकें और चूंकि मामला सदन के अंदर हुआ इसलिए किसी दंडात्मक कार्रवाई से भी बच जाएं। इतना ही नहीं, मामला उनके 2 करोड़ लेने से ईवीएम की गड़बड़ी पर शिफ्ट हो जाए।
लेकिन ईवीएम के डिब्बे का जो खेल सौरभ जी ने दिखाया उसपर विश्वास कोई करेगा तो कैसे?
– चुनावों में हजारों की संख्या में EVM इस्तेमाल होते हैं.. हजारों की संख्या में EVM के मदरबोर्ड बदल दिए गए?
– हज़ारों EVM के मदरबोर्ड में टैम्परिंग के लिए कोडिंग किसने की?
– हर EVM में कैंडिडेट का नाम और जगह अलग अलग नंबर पर होती है तो हर EVM के लिए अलग से कोडिंग हुई?
– EVM सील बंद करके रखे जाते हैं.. तो क्या सील तोड़कर मदरबोर्ड बदले गए? या चुनाव आयोग से ही मदरबोर्ड बदलकर EVM भेज दिए गए ताकि बीजेपी जीत जाए?
– चुनाव आयोग के EVM की सिक्योरिटी और मदरबोर्ड की प्रोग्रामिंग क्या किसी लोकल EVM से मैच की जा सकती है?
– हज़ारों बूथों पर हज़ारों लोगों ने जाकर EVM में कोड सेट कर दिया वोट देने के नाम पर और केजरीवाल साहब को आजतक एक ऐसा आदमी नहीं मिला जिसने ऐसा किया हो और ये बात सामने आकर बोल दे? एक, दो, दस , पचास लोगों का मुंह बंद किया जा सकता है लेकिन हर राज्य में हज़ारों लोगों के मुंह ऐसे बंद किए गए हैं कि आजतक ये राज़ सामने ही नहीं आय़ा?
खैर, सवाल तो बहुत सारे हैं लेकिन पूछकर कोई फायदा नहीं क्योंकि विधानसभा में जज केजरीवाल के सामने साथी विधायकों ने मेज़ थपथपाकर सर्टिफिकेट दे दिया है कि डेमो सही था और ईवीएम हैक हो सकते हैं.. अब आप लाख पूछते रहिए, क्या फर्क पड़ता है