नरेंद्र मोदी का नाम सुनते ही कठमुल्लों और तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवियों की हवा गायब हो जाती है। आप कुछ भी लिखो। ये बकलोली करने आ जाएंगे। देश के चुने हुए प्रधानमंत्री के साथ आप बदतमीजी से पेश आओ और फिर कहो कि आपसे लोग सही से बात नहीं करते। कम से कम चुनावी नतीजों को स्वीकार करना सीखो।
लोकतांत्रिक देश में वो चुना हुआ प्रधानमंत्री है। आप लोगों की ऐसी हरकतों के कारण उसके समर्थकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जाएगी। गलत चीजों पर विरोध तो समझ में आता है। लेकिन आतंकियों के मारे जाने पर धर्म के नाम पर आप आतंकियों का न सिर्फ समर्थन करो, बल्कि उसे अंडर ट्रायल बताओ और फिर कहो कि हिन्दुस्तान में सेकुलर समाज को खतरा है।
जनाब खतरा आप जैसे लोगों से ही है, जो धर्म के नाम पर सिर्फ अपनी हांकना चाहते हैं। NDTV से मेरी कोई सहानुभूति नहीं। ये बंद हो तो और चले तो वैसे भी अब इसे देखता कौन है।
जो चैनल खबरों के साथ हमेशा छेड़छाड़ करके भी अपने समर्थकों द्वारा निष्पक्ष कहा जाता हो उसके बारे में ज्यादा कहना उचित नहीं। विरोध करना हम सबका लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन PMO India प्रधानमंत्री का नाम सुनते ही अगर आपको एलर्जी होती हो तो आपको मानसिक चिकित्सा की जरूरत है।
इस देश में आपको इतनी छूट मिली हुई है कि प्रधानमंत्री के सामने आप आलोचना करते हो, लेकिन इन सबके बावजूद देश असहिष्णु है, क्योंकि आपकी राजनीति की दुकान बंद हो गई। ग्राहक आपके पास नहीं आ रहा। इस तरह की हरकत आगे भी रही तो जो लोग आपका अभी समर्थन कर रहे हैं उन लोगों की नजरों से भी गिर जाओगे।
मैं तुष्टिकरण की नीति का विरोधी हमेशा से रहा हूं। किसी धर्म और जाति का विरोधी नहीं हूं। सबकी इज्जत करता हूं और मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरिजाघर, मजार हर जगह सजदा करता हूं, लेकिन किसीका नाम सुनकर ही मुझे बदहजमी नहीं होती।
– हरेश कुमार,पत्रकार –