“मैं हूं बलत्कारी” हन्नी सिंह के इस गाने को लेकर माहौल गर्म है और जो टीवी चैनल कल तक जया बच्चन के आंसू को बॉलीवुड संवेदना का घोषणापत्र के रुप में प्रोजेक्ट कर रहे थे, अब सवाल कर रहे हैं क्या सिर्फ दिखावे के आंसू से काम चल जाएगा ? देखें तो इससे पहले हम दिक्कत होने पर लंपट को पिल्स खाने की सलाह देकर पल्ला झाड़ चुकनेवाले गाने चुपचाप पचा गए हैं. और इससे पहले भी डार्लिग के लिए बदनाम होनेवाली मुन्नी और शीला की जवानी को. जिगरमा बड़ी आग है पर न जाने कितने वर्दीधारियों ने नोटों की गड्डियां उड़ायी होंगी ? अब खबर है कि हन्नी सिंह पर एफआइआर दर्ज हो रहा है..कितना हास्यास्पद है न..सवाल हमारी अचर-कचर को लेकर बढ़ रही हमारी पाचन क्षमता पर होनी चाहिए तो ह्न्नी सिंह को प्रतीक प्रदूषक बनाकर मामला दर्ज हो रहा है..आप रोजमर्रा के उन सांस्कृतिक उत्पादों का क्या कर लेंगे जो पूरी ताकत को इस समाज को फोर प्ले प्रीमिसेज में बदलने पर आमादा है. आप उस मीडिया का क्या करेंगे जो बहुत ही बारीकी से छेड़खानी,बदसलूकी और यहां तक कि बलात्कार के लिए वर्कशॉप चला रहा है. हम प्रतीकों में जीनेवाले और गढ़नेवाले लोग क्या कभी उस चारे पर सवाल उठा सकेंगे जो दरअसल अपने आप में दैत्याकार अर्थशास्त्र रचता है.
एक हन्नी सिंह और एक मैं हूं बलत्कारी को लेकर कार्रवाई करके कौन सा तीर मार लेगा ये मीडिया जिसने कि दिल्ली के गैंगरेप मामले को जिस गति से दिखाया, उसी गति से ब्रेक में मिस्ड कॉल देकर लौंडिया पटाउंगा के चुलबुल पांडे को हीरो भी बनाया. चुलबुल पांडे की पूरी हरकत छेड़खानी और काफी हद तक बलात्कार के लिए उकसाने की वर्कशॉप है. आप जब तक देशभर में मीडिया के जरिए चल रहे ऐसे वर्कशॉप पर गंभीरता से बाद नहीं करते और मीडिया को उस मुहाने पर लाकर रगड़ाई नहीं करते कि तुम इस वर्कशॉप के भीतर से पैदा होनेवाले अर्थशास्त्र के बरक्स दूसरा अर्थशास्त्र पैदा करने का माद्दा रखते हो तब तक सांस्कृतिक संकट पर ललित निबंध और हेल्थ डिंक्रनुमा पैनल डिस्कशन चलते रहेंगे. कीजिए गिरफ्तार हन्नी सिंह को, कल को कई दूसरा कम्पोज करेगा..य य आइ एम भैन चो, यो यो यू आर मादर चो..
(विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से )