हिंदू-मुसलमानों के बीच नफरत फैला रहा है AajTak

देश के सबसे तेज हिंदी चैनल के एक शो में ‘तीन तलाक’ और राम-सीता के मुद्दे पर मुस्लिम धर्म गुरूओं और भाजपा-संघ नेता आपस में भिड़ गए। हाथापाई की नौबत गई। बीएसपी सांसद सुधींध्र भदौरिया ने बीच बचाव कराने की कोशिश की लेकिन चैनल के महान एंकर दूर खड़े मुस्कराते रहे। चैनल बड़ी ही बेशर्मी से इस झगड़े की 4:36 मिनट की क्लिप के साथ इस खबर को प्रमोट कर रहा है। क्या यही है ज़िम्मेदार पत्रकारिता..? ये देश में हिंदूं और मुसलमानों के बीच नफरत की खाई पैदा करने की कोशिश है। चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।

कुछ प्रतिक्रियाएं –

DrParmod Pahwa क्या ये एक ड्रामा नही लग रहा था। जानबूझकर चुनाव की पूर्व संध्या पर समाज के ध्रुवीकरण का ओछा प्रयास ।

Afaque Anwar Ye Muslim bhi tou BJP ke liye kaam kar raha hai.
Pura fix tha debate.
For polarisation!

Neeraj Sharma Shame on such people, I did not read such journalism ethics in any book during my study.

Mohd Naushad यूसुफ़ सहाब ये सब सोची समझी रणनीती का हिस्सा है , जो भाईचारा उत्तर प्रदेश चुनाव में अभीतक क़ायम है ये सब इसको ख़राब करना चाहते हैं ओर चुनाव को ध्रुवीकरण की तरफ़ के जाना चाहते हैं ,कुछ किराए के टट्टू न्यूज़ रूम में बुलाए जाते हैं इनको किसने दिया है हिंदू ओर मुसलमानो की राजनीतिक रहबरी करने का ठेका , हमारी क़ौम के कुछ बिकाऊ टट्टुओं को दस बीस हज़ार दे कर कुछ भी बुलवा लो लाइव न्यूज़ शो में ओर इसके बाद फिर इसका क्या असर हो इसकी इनको कोई परवाह नहीं है।

Shafeeq Solanki यह मोका भी अच्छा है चुनाव है,,नोट बंदी का गुढ गान काम नहीं कर रहा है,, इससे भाजपा का समर्थन बडे गा,,,73 संसद का हिसाब भी जनता माग रही कुछ काम नहीं बन रहा है,,,,इसी बहाने नैया पार होगी

Mohd Naushad आजकल न्यूज़ चैनल राजनीतिक दलाली का कारोबार कर रहे हैं , ओर चुनाव आयोग आराम से आँख मूँद कर ये सब होने दे रहा है ।

Malik Hashmi देश के शांतिप्रिय अवाम से मैं बार बार अपील करता रहा हूँ कि न्यूज़ चैनल देखने लायक नहीं हैं। इसका बहिष्कार करें। टीआरपी ने देश की सुरक्षा और अमन को सूली पर लटका दिया है। चैनल के लोग जहाँ दिखें जूते से मारें। कम से कम ऐसों का ऐसा इलाज तो होना ही चाहिए।

Kubool Qureshi अफसोस जनक,,,मौलाना भी जाहिल किस्म के है आता जाता कुछ नहीं बस जाकर टीवी के सामाने बैठ जाते हैं,,,

Yusuf Ansari Kubool Qureshi, यो लोग खुद जाकर नहीं बैठते। इन्हें बुलाया जाता है। किस मकसद सेस बुलाया जाता है। इस खबर से आइने की तरह साफ है।

Jamshed Qamar Siddiqui बिक रहा है बेच रहे हैं, कहां की ईमानदारी, कौन सी पत्रकािरता? गलती हम लोगों की ही है हम टीवी वालों को पत्रकार मान बैठे हैं। ये सिर्फ एनटरटोनमेंट शोज़ हैं। इनका पत्रकारिता से कोई लेना देना नहीं है। यकीन न हो तो इनके डिसक्लेमर देख लिया करें। ये तस्वीर ‘फतेह का फतवा’ का डिसक्लेमर है। अब बताइये जब ‘मनोरंजन’ के नाम पर मज़हबी नफरत फैलाई जाएगी तो उसे क्या कहा जाएगा? न्यूज़

Shashi Bhushan Singh वर्त्तमान पत्रकारिता का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं “पिपली लाइव हिंदी फ़िल्म के नत्था जी ” का मल-मूत्र तक को भी ढूढने और दिखने गुरेज नहीं ….

Sonal Sharma मैने ये शो देखा था।पूरा मामला ये है कि बीजेपी नेता ने प्रश्न पूछा कि 3 तलाक़ पर आप क्या कहते हैं तब मौलाना देहलवी बोले राम ने सीता को धोबी के कहने पर छोड़ दिया था। इसके बाद मामला बिगड़ा मौलाना को कोई अफ़सोस नही था अपनी बात का कुछ लोग श्रोताओं के बीच से दोनो पक्षो के समर्थन में शोर कर रहे थे। एंकर ने कोई खास प्रयास नही किया इनको रोकने का। बीजेपी नेता भी माफ़ी माँगो चिल्लाते रहे।

Yusuf Ansari Sonal Sharma जी, मेरा यही सवाल है। क्या एंकर की ज़िमम्देरी नहीं थी दोनो पक्षों के बीच सुलह कराने की। पूरे चार मिनट तकस एंकर मूक दर्शक बने खड़े रहे। ये शर्मनाक है। मैं राकेश सिंन्हा, संबित पात्रा या मौलाना देहलवी को कोई दोष नहीं दे रहा। ये सब तो अपने धर्म की रक्षा कर रहे थे। सवाल ये हैं कि एंकर का क्या धर्म है। बहस के लिए बुलाए गए मेहमानों के लड़वाकर तमाशा देखना या फिर मुद्दों पर सही परिपप्रेक्ष्य में बबहस कराना।

Muhammad Nasir आजकल सियासी माहौल गर्म है और तमाम न्यूज़ चैनल माहौल को ख़राब कर रहे हैं।
सियासी डिबेट में इशू से हट कर हिन्दू मुस्लिम के जज़्बात को भड़काया जारहा है।
आज आजतक चैनल पर सियासी डिबेट के बजाये ३ तलाक़ और राम सीता पर बेहेस शुरू करके माहौल को ख़राब करने की कोशिश की जारही है।
आजतक चैनल के अनुसार ३ मुस्लिम धर्म गुरु मौजूद थे वह हैं सय्यद अतहर हुसैन, अंसार राजा, साजिद रशीदी, कोण कहता है के यह मुसलमानों के धर्म गुरु हैं।
शायद मीडिया को सिर्फ दाढ़ी और टोपी वाले ही धर्म गुरु लगते हैं, यह लोग दूकान खोले बैठे हैं कोई भी दाम देकर इन लोगों को खरीद सकता है। इन लोगों के कहने से तो इनके अपने घर के लोग वोट न दें और बातें करते हैं पूरी मुस्लिम कम्युनिटी की।

Muhammad Nasir युसूफ भाई कुछ ज़ी न्यूज़ की भी खबर ले लो जहाँ खबीस तारेक फ़तेह को बिठा दया फतवा देने के लिए जिसने दोनों क़ौमों के दरमियान नफरत फेलाने का चैनल से ठेका ले रखा है।

Muhammad Nasir ” चंद एहम सवाल ”
भारतीय मुसलमान, मीडिया, सरकार से जानना चाहते हैं कि तारेक फतेह कौन है
वह भारतीय है?
वह राजनीतिज्ञ है?
वह सामाजिक कार्यकर्ता है?
वह मीडिया व्यक्ति है?
फिर क्या वजा है के मीडिया किस हैसियत से उसको मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगलने के लिए अपने शो में बुलाती है।
हाँ ये वजा होसकती है के अगर इतने हस्सास इशू पर मीडिया, सरकार अगर अपने किसी बीजेपी के नेता को इस डिबेट में बुलाती है तो बीजेपी सरकार की बदनामी होती।
इसलिए बीजेपी के पिट्ठू चापलूसी ज़ी न्यूज़ ने तारिक़ फ़तेह को सामने करदिया वह शख्स खुले आम मुसलमानों के खिलाफ बोलता है, अब मीडिया और सरकार कह सकती है के वह एक मुस्लिम दानिश्वर है।

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