हिन्दी चैनलों की बीजेपी से ‘दोस्ती’

नदीम एस अख्तर

टीवी पर देखकर आप तय कर सकते हैं कि किन-किन हिन्दी चैनलों की बीजेपी से ‘दोस्ती’ हो गई है और वे बेवजह कैराना मामले को जबरदस्त हाइप दे रहे हैं। खूब खबर चला रहे हैं, बहस-डिबेट करवा रहे हैं और उनकी कोशिश है कि कैराना मामले को जिंदा रखा जाए।

बीजेपी को और क्या चाहिए, मनमांगी मुराद मिल रही है। बात ये नहीं है कि कैराना का फर्जी मामला उठाकर बीजेपी यूपी में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहती है। बात यहां पब्लिक परसेप्शन की है और झूठ को हर मंच से इतनी बार बोलो कि पब्लिक को ये सच लगने लगे। और बीजेपी के इस एजेंडे में कुछ हिन्दी चैनल उनका खूब साथ दे रहे हैं।

आश्चर्यजनक रूप से एनडीटीवी इंडिया जैसा प्रणव राय वाला चैनल भी कैराना मामले को खूब तूल दे रहा है। अब किसकी गर्दन कहां अटकी है ये मुझे नहीं पता, पर एनडीटीवी इंडिया में मुझे ये एक खास किस्म का शिफ्ट नजर आ रहा है।

दूसरी बात। अगर कैराना मामले में जरा भी सच्चाई है तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री तो यूपी से ही सांसद हैं। क्यों नहीं वे दूध का दूध और पानी का शर्बत करने के लिए कोई केंद्रीय टीम कैराना भेजते या न्यायिक जांच ही करा लेते हैं!!?? कैराना में बीजेपी की टीम जांच करने क्यों गई है, ये समझ से परे और हास्यास्पद है। पीएम साहब और गृहमंत्री जी!! आप विपक्ष में नहीं सरकार में हैं। सो रूदाली रूदन बंद करिए और सरकार की तरह बिहेव करिए। सिर्फ टीवी पे बयानबाजी करके और अखिलेश यादव को कोस कर आपकी पार्टी क्या साबित करना चाहती है, ये पब्लिक अच्छे से समझ रही है। उसकी समझ को हल्के में ना लीजिएगा, अटलजी और प्रमोद महाजन के काल वाले इंडिया शाइनिंग का चीरहरण याद तो होगा ना आप लोगों को!!??

सो काम करिए और पब्लिक को बरगलाना छोड़िए। बिहार ने पहले ही बोलती बंद करवा दी है, अब यूपी में भी भद्द पिटवाएंगे क्या!!?? दोनों सहोदर हिन्दी बेल्ट है, जरा संभल के मोदी जी, अमित शहंशाह साहेब!!! मियां की जूती मियां के सिर वाली कहावत का मतलब तो जानते होंगे ना आपलोग!!!

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