गीताप्रेस को बंद होने से बचा लीजिए प्रधानमंत्री जी

गीताप्रेस को बंद होने से बचा लीजिए प्रधानमंत्री जी
गीताप्रेस को बंद होने से बचा लीजिए प्रधानमंत्री जी

अतुल सिंह

हिंदूओ की धार्मिक पुस्तके छापने वाले “गीता प्रेस” में अनिश्चित समय के लिये ताला लग गया है|ताला लगने के कारण यह है कि प्रेस के कर्मचारी पिछले कई सालो से वेतन बढ़ाने और चिकित्सा सुविधा की मांग कर रहे थे|किंतु बेचारे इस प्रेस के पास इतना धन नही है की अपने कर्मचारियों को सारी सुविधा प्रदान कर सकें ,क्योंकी यह प्रेस बहुत ही कम कीमत पर अच्छी क्वालिटी की धार्मिक पुस्तकें बेचता है|

प्रेस वर्षो से लगातार घाटे में चल रहा है|यह प्रेस गाँधी जी के आदेशानुसार अपने पुस्तको में विज्ञापन भी नही छापता ताकी अन्य श्रोतो से इसके पास धन आये|पंडित मदन मोहन मालवीय,गोविंद वल्लभ पंत,और जनसंघ के अनेक नेताओ के अनुरोध पर इस प्रेस को भारत सरकार ने कागज सब्सिडी पर देने की अनुरोध को स्वीकार कर लिया था|किंतु दशको से इस प्रेस को भारत सरकार द्वारा कागज देना बंद कर दिया गया है और अब यह प्रेस अत्यंत ही उंची कीमत पर कागज खरीदकर जनता को कम मूल्य पर पुस्तक देने के अपने धर्म पर विचलीतविचलित नही हुआ है|

गीताप्रेस कमाई का साधन नही बल्कि निष्काम कर्मयोग का अद्भुत मिसाल है|वह अपने कमाई की पूँजी जनता में ही खर्च देता है|उसके द्वारा अनेक वेद विद्यालय और आश्रम संचालित किया जा रहा है|जिसका भार भी इसी प्रेस पर है|अतीत में भी गोरखपुर के बाढ़ और राजस्थान सहीत देश के अनेक भागो में अपना बहुमुल्य सेवा से मिसाल स्थापित की है|

अपने इन कार्यो के बदौलत गीताप्रेस हिंदूओ के लिये सिर्फ प्रेस नही बल्कि आस्था का केंद्र है|इसके निष्काम कर्मयोग पर अनेक विदेशी विद्वान भी आश्चर्य प्रकट करते हैं| अतः मै माननीय प्रधानमंत्री जी,माननीय मुख्यमंत्री (उप्र ) और सभी माननीय सांसदो से अनुरोध करता हुँ की इस ऐतिहासिक प्रेस के विवाद के मामले में तत्काल हस्तक्षेप और सहायता प्रदान करें ताकि यह विश्वप्रसिद्ध प्रेस बंद न हो|

@fb

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.