डॉ पश्यन्ती शुक्ला मोहित
अर्णब को कुछ देर के लिए भूल जाइए, और याद कीजिए 15 दिन पहले उद्धव सरकार ने समीत ठक्कर नाम के एक राष्ट्रवादी को सीएम और उनके कुपुत्र के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर उठाकर जेल में डाल दिया था.
क्या आप जानते हैं कि समीत के खिलाफ कितनी जगह कितनी एफआईआर दर्ज हुईं और किस तरह उसे एक कोर्ट से दूसरे शहर के कोर्ट के बीच पेंडुलम बना दिया गया है.
सत्ता की पावर क्या होती है यह समझने के लिए समीत के मामले से बेहतर कोई उदाहरण हो ही नहीं सकता. ज़रा क्रॉनोलाजी समझिए—
Sameet Thakkar VS Thackeray
-Nagpur Police arrested on 24 Oct
-Nagpur Court given bail on 02 Nov
-VPR Police arrested on 02 Nov
-Girgaon Court gives JC on 09 Nov
-BKC Police arrested on 09 Nov!
-Arrest- Bail- Arrest- JC- Arrest..
कुल मिलाकर बात इतनी है कि अपना इकोसिस्टम खड़ा करना ही होगा, क्योंकि आप लोगों से लड़ सकते हैं इकोसिस्टम से नहीं.
अर्णब की गिरफ्तारी को स्वीकार करके अगर हम दीवाली मनाने में पड़ गए तो याद रखिएगा कि आज 30 नवंबर तक पटाखे बैन हुए हैं कल दीवाली ही बैन हो जाएगी.
(लेखिका के सोशल मीडिया वॉल से साभार)