विकास मिश्र
एफएम सुनना इन दिनों बड़ा मुश्किल हो गया है। चुनावी प्रचार पका रहा है। केजरीवाल साहब का ऐलान सुन रहा हूं। फिर शर्त रख रहे हैं दिल्ली वालों पर कि 50 सीटें दो तब बनूंगा मुख्यमंत्री, फिर नहीं भागूंगा बढ़िया काम करूंगा। केजरीवाल 49 दिनों की सरकार चलाने के बाद भाग खड़े हुए थे, उसकी सफाई में कह रहे हैं कि लाल बहादुर शास्त्री भी ऐसा कर चुके हैं। बड़ी खुशी हुई जानकर कि देश के इतिहास में कोई तो एक नेता हुआ जिससे अपने से तुलना लायक पाते हैं केजरीवाल, शास्त्री जी ही सही। वरना तो केजरीवाल साहब अन्ना, गांधी, नेहरू, अटल बिहारी वाजपेयी को तो अपने चरणों की धूल के बराबर भी नहीं सेटते।
केजरीवाल का प्रलाप खत्म होते ही मोदी राग शुरू हो जाता है-हम मोदी को लाने वाले हैं..। पता नहीं ये कौन हैं, जो गा बजाकर मोदी जी को लाने वाले हैं। मोदी जी जैसे सुपरमैन हैं, सारी समस्याओं को चुटकी बजाकर दूर कर देंगे। भारत विश्वगुरु बन जाएगा। चीन, पाकिस्तान, अमेरिका सब पानी भरेंगे। चैनल बदलता हूं तो फिर मोदी गीत चालू रहता है- मैं देश नहीं मिटने दूंगा। जैसे कोई मिटा रहा है और बचाएंगे मोदी जी। कांग्रेस का भी एक ताल में गीत है- हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की। अभी व्हाट्स एप पर एक साथी ने हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की की एक तस्वीर भेजी है। ये नारा सुनकर वो खुराफाती तस्वीर सामने दिखने लगती है। चुनावों की आपाधापी दिल्ली की सड़कों पर नहीं दिखाई दे रही है। टीवी, रेडियो और पोस्टरों पर है। महीने भर तक एफएम पर यही झेलना पड़ेगा। मैं भी झेल रहा हूं, आप भी झेलिए।
(स्रोत-एफबी)