ब्रजेश कुमार,समाजसेवी
बिहार को बदनाम करने में फिल्म जगत ने एक बड़ी भूमिका निभाई है,शूल, अपहरण,गंगाजल न जाने और कितनी सारी फिल्मो में बिहार को नकारात्मक तरीके से पेश किया गया है जहाँ अच्छाई की बात आती है तो उसके ऊपर फिल्म बनती ही नहीं अगर बनती है तो बिहार की भूमिका को हटा दिया जाता है जैसे “अशोका” फिल्म हो या” देवदास” फिल्म में भागलपुर और मुजफ्फरपुर से पारो का सम्बन्ध का जिक्र हो ।
महान नृत्यगिनी आम्रपाली या वैशाली की गौरव गाथा या एक कम पढ़े लिखे “लंगट बाबू” की दृढ इच्छाशक्ति या गया का पिंडदान इन सब के ऊपर फिल्मे नहीं बन सकती है । ऐसा नहीं है कि फिल्मे बनेगी तो व्यवसाय नहीं करेगी , व्यवसाय बहुत अच्छा करेगी इसका उदहारण दशरथ मांझी :The Mountain Man फिल्म है ।
अब समय आ गया है की बिहार के इतिहास या बिहार के नकारात्मक छवि को लेकर कोई फिल्म बनाता है तो उसके खिलाफ आवाज बुलंद करने की ।