पुष्य मित्र-
फरकिया पुल के आंदोलन स्थल से यह निराश कर देने वाली सूचना आयी है। 13 दिनों से अनशन पर डंटे बाबूलाल शौर्य की स्थिति नाजुक बताई जा रही है। अत्यंत नाजुक है। डॉक्टर के मुताबिक शुक्रवार को बाबूलाल शौर्य का एसजीपीटी लेवल 40 की जगह 478 हो गया। वही सिरम ब्लीड लेवल 3.5 हो गया है, कहा जाता है कि यह एक से भी नीचे होनी चाहिए था। इन रिपोर्ट्स के बारे में तो मुझे अधिक समझ नहीं है। मगर डाक्टरों का कहना है इस लेवल पर कभी भी कुछ हो सकता है, कोमा से लेकर लीवर खराब होने तक की संभावना है। इन परिस्थितियों के बावजूद सरकार का एक भी आदमी अनशन स्थल पर नहीं पहुंच रहा। लोग जान देने के लिये तैयार हैं, मगर हुक्मरान उफ़ तक नहीं कर रहे। और तो और विपक्षी नेता भी इस आंदोलन को लेकर सरकार से सवाल पूछने के लिये तैयार नहीं हैं। इस बीच अगर कुछ हो गया तो यह स्वतः स्फूर्त आंदोलन के लिये एक काला इतिहास साबित होगा।
अफसोस मैं पटना छोड़ने की स्थिति में नहीं हूँ, वरना मैं भी इस जगह होता। फरकिया के इस इलाके में पुल को लेकर जिस तरह का आंदोलन चल रहा है, उससे अधिक रचनात्मक आंदोलन हाल के दिनों में नहीं देखा। मध्यप्रदेश में कुछ महीने पहले इसी तरह जल सत्याग्रह हुआ था। अब यहां तस्वीरों को देखिये।
पहली तस्वीर में महिलाएं कोसी पूजन कर सरकार को सद्बुद्धि देने की गुहार लगा रही है, दूसरी तस्वीर में लोग मुंह पर काली पट्टी बांधे बैठे है। इस आंदोलन की खास बात यह है कि उसके पीछे स्थानीय युवकों की अपनी सोच है, किसी एनजीओ या संगठन की पार्श्व भूमिका नहीं है जो आजकल हर जनांदोलन में नजर आ ही जाती है।
हालाँकि इसके अपने नुकसान हैं। राजधानी की मीडिया में इस आंदोलन की खबरें कम हैं। सरकार इसी वजह से दवाब मुक्त है। मगर ठीक है, कुछ आंदोलन इसी तरह स्वतः स्फूर्त होने चाहिये।
इस बीच खबर मिली है कि आज प्रशासन के कुछ लोग अनशन तुड़वाने गये थे। मगर उनके पास कोई ठोस आश्वासन नहीं था। लिहाजा समझौता हो नहीं पाया। मुख्य आंदोलनकारी पीलिया का मरीज हो गया है, फिर भी डटा है।
अभी शाम में यह खबर भी आई कि रात में प्रशासन इनको जबरदस्ती वहां से हटाने की तैयारी में हैं। यह खबर मिलते ही आनन फानन में हजारों लोग वहां जुट गए। लोग रात भर वहां रहेंगे। आप सबों को सलाम। जीत मिले या हार। आपका संघर्ष हम जैसों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा.
(बिहार से पुष्य मित्र)