नीलकमल
मैंने अपने 15 साल के पत्रकारिता जीवन में दुर्गा की कहानी जैसी स्टोरी, ना कही देखी , ना सुनी थी। इसलिए आज मैं बेहद खुश हूं,क्योंकि ETV के मुहिम की वजह से , दो साल की दुर्गा अपनी माँ की गोद में पहुच गयी।
दुर्गा की कहानी आपको पढ़ने में तो फ़िल्मी लगेगी , लेकिन ये दुर्गा ,गुड्डू शाह और मुनन देवी के ज़िन्दगी की हकीकत है।
दरअसल, बीते बुधवार (21 सितंबर) को मुझे पटना में, गुड्डू और मुनन नाम के पति पत्नी रोते-बिलखते मिले।
जब मैंने कारण पूछा और उन्होंने बताया,तो कलेजा कांप उठा।दरअसल,रोहतास के दिनारा के रहने वाले इस निसंतान दंपत्ति को, 30 सितंबर 2014 को इनके ही गांव में एक नवजात बच्ची मिली थी।पति पत्नी नवजात बच्ची को लेकर दिनारा थाना पहुचे।तब थाना प्रभारी ने बच्ची को उन्हें यह कर वापस सौप दिया की जब तक, इस नवजात के असली माँ-बाप का पता नही लगता , तबतक इसकी देखभाल करे।निसंतान दंपत्ति ने बड़े हर्ष के साथ बच्ची को अपने घर ले गए,और बच्ची का नाम रखा दुर्गा।देखते देखते दो साल हो गए।दुर्गा को पालने वाली यशोदा बनी मुनन देवी,उसका पति गुड्डू शाह और मुनन देवी के ससुराल के साथ साथ , मायके वालों का भी दिल का रिश्ता दुर्गा से साथ जुड़ गया।लेकिन दो साल बाद यानि अगस्त 2016 को, एक दिन अचानक दुर्गा के घर दिनारा थाना का एक दारोगा पंहुचा, और पति पत्नी को कहा कि वो दुर्गा को लेकर थाने चले।जब मुनन देवी और गुड्डू शाह दुर्गा के साथ थाने पहुचे।उनसे कहा गया कि बाल कल्याण समिति का कहना है कि,दुर्गा को आप लोगो ने अवैध् ढंग रखा है।फिर CWC के सदस्य द्वारा डॉक्टर को दिखाने के नाम पर दुर्गा को थाने से ले जाया गया।मुनन देवी ने भी साथ जाने की ज़िद की तो उसे जबरन थाने पर बिठाये रखा गया।फिर पता चला की CWC ने दुर्गा को गया के चाइल्ड एडॉप्शन सेंटर भेज दिया है।
इस घटना के बाद मुनन देवी और उसके परिवार के साथ,गांव के मुखिया और गांव वाले, दुर्गा को वापस लाने रोहतास के बाल कल्याण समिति के दफ्तर पहुचे।लेकिन उन्हें कहा गया कि, दुर्गा अब उन्हें नही मिलेगी।हा, बाल कल्याण समिति की तरफ से ये जरूर कहा गया कि दुर्गा के बदले मुनन देवी को लड़का दे दिया जायेगा।लेकिन यशोदा बनी मुनन देवी ने बाल कल्याण का ये ऑफर ठुकरा कर, दुर्गा को वापस पाने की लड़ाई लड़ने लगी। इस दंपत्ति ने मदद के लिए कई दरवाज़े खटखटाये,लेकिन मदद कही से नही मिली।
फिर मदद की आस में दंपत्ति पटना पहुचे और मेरी नज़र इस दंपत्ति पर पड़ी।इनकी समस्या सुन, उसी वक्त मैंने दुर्गा को उसकी यशोदा के गोद में पहुचाने का संकल्प लिया।फिर मैंने स्टोरी बनायी,जैसा की सर्वविधित है ETV पर खबर चलने का असर जरूर होता है।मैंने बिहार की समाज कल्याण मंत्री से भी बात की।उन्होंने भी पूरी कहानी सुन मदद का भरोसा दिलाया। और नतीजा यह निकल कर आया की चार दिन खबर दिखाये जाने के बाद, दुर्गा फिर से अपने माँ की गोद में पहुच गयी।
इस मुहीम में मुझे मेरे साथी स्वयंसेवक बृजेश तिवारी का भी भरपूर सहयोग मिला।अब तीन महीने के अंदर क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद, दुर्गा क़ानूनी रूप से भी मुनन देवी और गुड्डू शाह की हो जायेगी।लेकिन कुछ सवाल अभी भी मेरे जेहन में तैर रहे है ,जैसे;-
1.रोहतास के बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष ने क्यों कहा कि दुर्गा के बदले लड़का ले लो।
2.जिस कानून की दुहाई देते हुए बाल कल्याण ने दुर्गा को लौटाने से मना कर दिया था।खबर चलने के बाद उसी कानून के तहत उन्होंने दुर्गा को सौंपा।तो दुर्गा को रखने के पीछे बाल कल्याण समिति का कोई उद्देश्य था।
खैर, अच्छी बात यह है कि दुर्गा अब अपनी माँ के गोद में खुश है।और माँ का कहना है वो दुर्गा को बड़ी ऑफिसर बनायेगी।