आपको NDTV Ban सही है या गलत, इसकी चिंता थी, और हमें यूपी के कौशाम्बी जिले के एक देहात में घाव से पीड़ित 7 दिनों से इलाज के लिए भीख मांगती 70 साल की विधवा बूढ़ी दुईली देवी की।
दुईली देवी, उम्र 70 साल, विधवा और बेसराहा, बहू ने घर से निकाल दिया, और बेटा जोरु का गुलाम निकला. पिछले एक हफ्ते से यूपी के कौशाम्बी जिले के एक देहात इलाके की सरकारी डिस्पेंसरी के बाहर पांव के घाव के इलाज के लिए तड़प रही थी, ना तो सरकारी डॉक्टरों को चिंता थी (वो आप-हम समान ही हैं) और ना ही किसी और को। सोशल मीडिया पर #NDTVBan पर छाती पीटने वाले या सीना ठोकने वालों में से किसी ने दुईली देवी जैसों के लिए लड़ाई लड़ने का नहीं सोचा, क्योंकि शायद वो फैशनेबल नहीं होता।
लेकिन इस देश में हम जैसे बहुत से समाज की नजर में फेल लोग है। सो किया। शनिवार दफ्तर में आकर न्यूजरुम में अपना कम्प्यूटर ऑन भी नहीं किया था कि साथी संपादक बोल पड़े- लो अब निमिष आ गया, अब हम मिलकर आज एक और को न्याय दिलाएंगे। जैसे ओडिशा में अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर ढोने वाले दाना मांझी की लड़ाई थी या झारखंड के लातेहार में तीन बच्चों की मां और 9 महिने की गर्भवती आदिवासी महिला की लड़ाई।
लेकिन ये इतना आसान ना था। कौशाम्बी कलेक्टर छुट्टी पर थे। एडीशनल कलेक्टर का फोन नहीं लग रहा था। सीएमओ ने कहा- साहब, मैं तो 5-6 साल पहले था, मेरा तो बाद में ट्रॉन्सफर हो गया था, अब तो मैं रिटायर्ड हो चुका हूं। 10 से ज्यादा अधिकारियों के फोन खड़खड़ाए। कोई भी कौशाम्बी में पदस्थ नहीं था। अधिकांश या सो बरसो पहले ही वहां से ट्रॉन्सफर हो चुके थे, या रिटायर्ड। लेकिन हम निराश नहीं हुए।एसपी का फोन ढूंढा गया। उससे कलेक्टर का चार्ज वाले अफसर का फोन नंबर मिला। वहीं कलेक्टर के घर आखिरकार फोन मिला। कलेक्टर तो नहीं मिले, लेकिन सारा स्टॉफ लाइन पर आ गया।
आधी रात को जब घर लौटा, तो साथी संपादक का फोन आया- बधाई हो निमिष। भाई हम जीत गए। पदेन कलेक्टर ने वॉट्सअप किया उस महिला के इलाज का पर्चा। सारा इलाज कराया गया। सारी दवाएं सरकारी खाते से दी गई। उसके लड़के को बुलाया गया, तो अब वो लाइन पर आ गया और माफी मांगते हुए अपनी मां को घर ले गया। माफीनामा लिखा है। अब एक मेडिकल टीम रोज उस बूढ़ी मां के घर जाकर मरहम पट्टी करेगी, जब तक उनका घाव भर नहीं जाता। साथ ही उन्हें हर सरकारी योजना का लाभ दिया जाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। मतलब वृध्दा पेंशन, वृध्दा स्वास्थ्य सुरक्षा, वृध्द का स्व-परिजन से पोषण का अधिकार और तमाम सुविधाएं।
हम इतने बुध्दिजीवी और फैशनेबल नहीं है कि #NDTVban पर बहस करें। क्योंकि हमारे लिए हमारी कलम को लेकर प्रतिबध्दता ज्यादा है। कोई साथ हो ना हो, हम अपने इन छोटे प्रयासों को जारी रखेंगें। आमीन