दिलीप मंडल का रोहित सरदाना पर डबल अटैक

रोहित सरदाना की आलोचना - दिलीप मंडल की एफबी डायरी

rohit sardana
रोहित सरदाना, न्यूज़ एंकर

दिलीप मंडल –

जिस संपादक ने रोहित सरदाना को टीवी में पहली नौकरी दी थी, उनके दर्द को कौन समझ सकता है. उन्हें क्या मालूम था कि रोहित में इतना जहर भरा है. रोहित तब बेहद मासूम बनकर उनके पास आया होगा.

चूंकि मैं उस संपादक को जानता हूं, इसलिए उस दर्द को महसूस कर सकता हूं. अगर उन्हें पता होता कि रोहित की हरकतों से आगे चलकर समाज टूटेगा, तो रोहित को वह नौकरी कतई न मिलती.

रोहित की हरकतों से लोगों के मन में नफरत भर रही है. इस दुष्कर्म का बोझ लेकर रोहित पता नहीं क्या बनना चाहता है.

वह एक सम्मानित पत्रकार तो कभी नहीं बन पाएगा. हद से हद उसकी हैसियत उस बंदर की होगी, जिसके बनाए पुल पर चढ़कर सेना ने लंका की ओर प्रस्थान किया था.

इतिहास तो राजा का होता है, बंदरों का इतिहास नहीं होता. रोहितों का इतिहास में कोई जिक्र नहीं होता.

रोहित पत्रकारिता का तोगड़िया बनेगा और आखिर में रोएगा. लेकिन यह होने तक समाज को इसकी कीमत चुकानी होगी.

इतनी कड़वाहट क्यों बो रहे हो रोहित? हो सकता है कि निजी जीवन में तुम या तुम्हारे परिवार का कोई दर्द हो. कोई शिकायत हो. लेकिन मासूमों के घर जलाकर उसकी कीमत वसूलोगे क्या?

आज तक के संपादक रोहित को इतना जहर बोने क्यों दे रहे हैं? उन्हें ही क्या हासिल हो जाएगा? गाड़ी की लंबाई चार इंच बढ़ भी गई तो क्या? कौन देखता है, कौन जानता है, कौन पूछता है?

टीआरपी की वासना में लोगों की जान चली जाएगी.

अब तो रुक जाओ. पत्रकारिता नहीं तो इंसानियत की खातिर ही सही.

@fb

2 COMMENTS

  1. Tum logo ko ek dharm ki chaplusi karne ki adat ho gai jb koi sach bolta h to sabse jyada taklif sirf tum chapluso ko hoti h kyunki tmari mentality gulamo ki rhi hai tm kbi Hindu ban hi ni paye or banne me bi tmko dar lgta hai kabi kisi Hindu k lie dar k mare bol bi ni payoge

  2. रोहित सरदाना बहुत अच्छे एंकर एवं जन प्रिय है

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