श्रवण-श्रवण:
इन दिनों दिलीप मंडल एक नाम नहीं विशेषण हो गए हैं । कई लोग – जाहिर है सवर्ण – कहते पाये जाते हैं । दिलीप मंडल मत बनो ! यह भी दिलीप मंडल बनना चाहता है । आदि ।
खुद दिलीप मंडल की वाल पर उन्हें जघन्यतम गालियाँ दी जाती है । जिन्हें वे न प्रत्युत्तर देते हैं और न ही ब्लॉक करते हैं । सिर्फ इस एक गुण के लिए वे फेसबुक मठाधीशों से जो जरा जरा सी बात पर अनफ्रेंड/ ब्लॉक करते हैं बेहतर हैं ।
दिलीप मंडल वे हैं जो बहुजन मुद्दों से जुड़े मुद्दों पर लगातार लिखते हैं । वे एक क्लास हैं जिनसे प्रेरणा लेकर दूसरों ने लिखना बोलना सिखा है ।
दिलीप मंडल की अपनी सीमाएँ हैं । अपने अंतर्विरोध ! जरुरी नहीं उनकी रर बात से सहमत हुआ जाए ।
लेकिन हमारे जैसों के लिए दिलीप मंडल जरुरी हैं । दिलीप मंडल होना उपलब्धि है ।
मोबाइल से लिखा । बाहर हूँ । वरना और विस्तार से लिखता ।
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