क्या किन्नर समाज से आजतक के दीपक शर्मा को नहीं मांगनी चाहिए माफी ?
“मित्रों जिगर और जज्बा चाहिए स्टिंग करने मै ….वेबसाइट पर किसी खबर को हल्का कहना या गाली देना बहुत आसान है. बुरा मत मानियेगा हमारे समाज में गाली सबसे ज्यादा किन्नर देते है.”- दीपक शर्मा, आजतक.
आपलोग प्लीज दीपक शर्मा के इस वाक्य का अर्थ समझा दें कि हमारे समाज में गाली सबसे ज्यादा किन्नर देते हैं कहने का क्या मतलब है ? मैं तो बस इतना समझ पा रहा हूं कि किन्नर अगर सबसे ज्यादा गाली देते हैं तो उससे ज्यादा सरेआम, यहां तक कि दीपक शर्मा जैसे सरोकारी,जुझारु मीडियाकर्मी से भी कौन अपमानित होता है ? क्या इतनी सतही समझ के साथ ही कोई टेलीविजन का बड़ा चेहरा बनता है? हमारे भीतर दीपक शर्मा जैसे मीडियाकर्मी को लेकर अफसोस हो इससे पहले आप इस वाक्य के भीतर के गंभीर अर्थ को साझा करें.
दीपकजी, मुझे ये तर्क अभी भी समझ नहीं आयी कि स्टिंग में बड़ी मेहनत लगती है और जिगर का काम है तो इसलिए इसकी आलोचना नहीं होनी चाहिए. आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने में भी इतनी ही मेहनत लगती है और इससे ज्यादा बड़ा जिगर चाहिए, आप करेंगे उसका समर्थन ? आपलोग तो गजब छुईमुई माइंडसेट लेकर काम करते हैं..एक तरफ वेबसाइट के लोग आपके लिए सतही है और एक तरफ उनके लिखे का प्रभाव आप पर ऐसा पड़ता है कि किन्नरों तक को वेवजह अपमानित करने में मानवीय स्तर पर भी कोई दिक्कत नहीं होती. हद है.
क्या आजतक के जुझारु, स्टिंग ऑपरेशन के महारथी दीपक शर्मा को किन्नर समाज से माफी नहीं मांगनी चाहिए..उन्हें आखिर ये अधिकार किसने दिया है कि बिना किसी आधार और रिसर्च के ये चलताउ बयान दें कि इस देश में सबसे ज्यादा गाली किन्नर देते हैं ?..पटेल जब सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे तो उन्होंने आकाशवाणी पर से मिराशियों का गायन ये कहकर बंद करवा दिया था कि इससे समाज पर बुरा असर पड़ता है, लोग नहीं चाहते हैं कि वो गाएं… करीब पचास साल बाद दीपक शर्मा जैसे मीडियाकर्मी की समझ अगर इसी के आसपास है तो आप क्या उम्मीद करते हैं ?
(स्रोत – एफबी)