अदालत दीपक चौरसिया की थी लेकिन फिर भी जज जस्टिस काटजू ही थे. सो माबदौलत की शान में बेअदबी होते ही काटजू साहब ने बदतमीज कहकर दीपक को गेटआउट कर दिया.
संभवतः दीपक के साथ ऐसा कभी नहीं होगा. किसी ने नहीं किया होगा. लेकिन इंडिया न्यूज़ के प्रमुख बनते ही जस्टिस काटजू ने उन्हें बदतमीज करार दिया.
बातचीत का सलीका सीखने के लिए कह दिया और साथ में गेटआउट का तमाचा भी मार दिया. दरअसल दीपक चौरसिया आज जस्टिस काटजू का इंटरव्यू ले रहे थे. इंटरव्यू के दौरान दीपक किसी जवाब से संतुष्ट नहीं दिख रहे थे सो काउंटर क्वेश्चन पूछने लगे. इसपर जस्टिस काटजू भड़क गए और उठ खड़े हुए.
दरअसल दीपक ने उनके किसी जवाब को अधूरा सच कहा था. बस इसी पर काटजू नाराज हो गए और कहने लगे कि, ‘यदि आपको आरोप ही लगाना है तो आप इंटरव्यू खत्म कर दो. आप इंटरव्यू में मिसबिहेव करेंगे तो मैं ये टोलरेट नहीं करूँगा. आपको इंटरव्यू लेना है तो बिहेव करके इंटरव्यू लीजिए.
दीपक ने जब अपनी बात रखने की फिर कोशिश की तो जस्टिस काटजू ने लगभग जज वाले अंदाज़ में डपटते हुए चुप रहने के लिए कहा और कहा कि आधा सच और आधा झूठ जैसी बेवकूफी वाली बात को वे बर्दाश्त नहीं करेंगे. आपको नहीं लेना है … छोडिये. आप उटपटांग की बातें करते हैं. जाइए आप . गेटआउट.
ऐसे जस्टिस काटजू की अदालत में एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया हुए गेटआउट और अदालत बर्खास्त.
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जो कुछ भी हुआ वह पत्रकारिता के नाम पर एक करारा तमाचा था ना की दीपक जी की बात पर, यह समझना चाहिए।