-संजय तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार-
सब अपने अपने तरीके से गांधी वध कर रहे हैं। क्या कांग्रेसी, क्या वामपंथी, क्या संघी, क्या अंबेडरकरवादी और क्या मुस्लिम कट्टरपंथी। ये सब समान रूप से गांधी के हत्यारे हैं। जीते जी अगर गांधी को सबसे ज्यादा किसी ने चोट पहुंचाई तो वो वामपंथी और इस्लामिक कट्टरपंथी थे जिन्हें पाकिस्तान चाहिए था। आज वामपंथी शर्मिंदा हो रहे हैं कि गांधी के हत्यारे अभी जिन्दा हैं लेकिन यही वामपंथी उस वक्त जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान बना रहे थे और गांधी को सांप्रदायिक लीडर घोषित कर रहे थे। आज इनको शर्म आ रही है तो यही शर्म उस वक्त क्यों नहीं आयी?
न इनको आज शर्म आ रही है और न उस वक्त आई थी। इनको गांधी की हत्या से भी कोई मतलब नहीं है। इनको मतलब है आरएसएस से जिसे दोषी ठहराकर ये वर्ग संघर्ष के अपने बुनियादी सिद्धांत को आगे बढ़ा रहे हैं। ये उसी मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पर कायम हैं जिस पर जिन्ना के समय में कायम थे।
कांग्रेस ने सैंतालिस से जो गांधी को मारना शुरू किया तो आज तक उसका गांधी वध जारी है। रही बात संघियों की तो वो गांधी वध के दोषी हैं और रहेंगे। न कल उन्हें इस बात का अफसोस था और न ही आज वो प्रायश्चित करने को तैयार नहीं है। गांधी जीते जी नितांत अकेला था और मरने के बाद भी अकेला ही रह गया।