वेद विलास उनियाल
कभी पाकिस्तानी क्रिकेट कमेंट्रटरों की इस बात पर मजाक किया जाता था कि वह केवल अपने देश के खिलाड़ियों की बढाई करते हैं। कमेंट्रेटर नहीं बल्कि एक पाकिस्तानी बनकर खेल का विवरण सुनाते हैं।
लेकिन अब भारत के क्रिकेट कमेंट्रेटर भी यही करने लगे हैं। कमेंट्री करते हुए सुना जा सकता है। मसलन, हमारे लिए इंग्लैंड ने इतना टारगेट रखा है। हम पाकिस्तान को रोक देंगे। हमारे बालर अगर सुबह के पहले स्पेल में नियंत्रण रख सके तो न्यूजीलैंड को रोका जा सकेगा। बांग्लादेश को हमें कमजोर नहीं लेना चाहिए। हमें चौकस रहना होगा… आदि आदि।
पहले कमेंट्री में ये हम हमारा शब्द नहीं सुने जाते थे। भारत पाकिस्तान, न्यूजीलैंड देश का संबोधन होता था। वही उचित भी था। कमेंट्रेटर निरपेक्ष होना चाहिए। पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी कमेंट्री करते हैं, पर याद आते हैं मनीष देव, सुरेश सरैया, ड़ा नरोत्तम पुरी। अनंत सिंतलवाड़, सुशील दोषी. रवि चतुर्वेदी। और हाकी में जसदेव सिंह। खिलाड़ी कोई कितना भी बड़ा हो, इनकी जगह नहीं ले सकता। कमेंट्री में ये लाजबाव रहे।
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