ये कोचिंग नहीं,कचरा पैदा करने की वर्कशॉप चलाते हैं..
आप दिल्ली के मुख़र्जीनगर की सड़कों पर एक नज़र भर कभी मारिये..आपको कहीं भी सड़क अपने रंग में दिखाई नहीं देंगे..पूरी सड़क ऐसे जैसे की पोस्टरों ने रौंद दी हो. इन पोस्टरों में होते हैं- आईएस, बैंक मेनेजर,पीओ, और दुनिया भर के उन पदों, अफसरी को आसान तरीके से हासिल करने के नुस्खे..जिसके लिये करना कुछ ख़ास नहीं होगा बस उक्त कोचिंग के मार्गदर्शक,तारणहार से संपर्क करना होगा. आप पोस्टर पर छपे संदेशों को पढ़ते हैं तो कहीं से नहीं लगेगा कि ये दावे किसी धंधे के तहत किये गये हैं..कोचिंग संस्थान का बस एक ही उद्देश्य है कि आपको सही जगह पहुंचने में मदद करे जिससे कि आप राष्ट्र निर्माण में जी-जान से लग सकें.
जाहिर है हर साल इन संस्थानों से सैकड़ों लोग ज्ञान लेकर निकलते होंगे और अब जो निकलेंगे वो अपने मंत्रालय,बैंक,विभाग में नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने की दिशा में काम करेंगे.
मेरा इन संभावित अधिकारियों जो कि कल को स्वच्छ भारत बनाने के नाम पर हमारी ही छाती पर चढ़कर मूंग दरेंगें, अभी अपने कोचिंग सेंटर के तारणहार सइ सवाल नहीं कर सकते कि प्रभु इस मानव और राष्ट्र निर्माण में ये सड़क को पोस्टरों से पाट देने की क्या भूमिका है ? …बाकी कागज़ की बर्बादी, गन्दगी फ़ैलाने और शहर की समझ को तहस-नहस करने का तमाशा तो हम क्या दुनिया देख रही है.