2011 के रामलीला मैदान में अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को देश के हर नागरिक ने अभूतपूर्व समर्थन किया। ठीक 5 साल बाद बड़ा अजब संयोग है महान समाजसेवी अन्ना हजारे, काले धन के खिलाफ बड़ी मुहीम में नरेंद्र मोदी की सराहना,एवं समर्थन करते है वहीँ दूसरी ओर अपने परम शिष्य केजरीवाल को कोसते नजर आते है।
केजरीवाल आज कांग्रेस, मायावती ,मुलायम,लालू, ममता बनर्जी के अवैध तरीके से जमा किये हज़ारो करोड़ के काले चंदे को बचाने के लिए काले कालोबारियो के साथ खड़े हैं। केजरीवाल को पंजाब चुनाव के लिए जमा किये हजार करोड़ के काले चंदे को सफ़ेद बनाने की चिंता है।
उनके समर्थकों को उन्हें अन्ना के आदर्शो की याद जरूर दिलानी चाहिए। अब बात करते हैं उनके कुशासन की-
सुबह-सुबह दिल्ली की सड़कों पर गैसमास्क पहने मासूम स्कूली बच्चों को देखकर दिल्ली का हर निवासी काँप उठता है उसके हर सवाल अपने चहेते सीएम से होते है। दिल्ली की जनता ने रिकॉर्डतोड़ 67 सीट देकर केजरीवाल को अपनी पलकों पर बैठाया लेकिन आपने ब्लेमगेम के खेल में दिल्ली की जनता को जहरीली हवा में झोक दिया।हर मिनट ट्वीट करने वाले केजरीवाल के पास दिल्ली के प्रदूषण से निपटने का बिल्कुल समय नहीं है।
हद तो इस कदर है की जवाबदेही से बचने के लिए दिल्ली के प्रदूषण का दोषारोपण बगल के राज्यों पर मढ़ दिया ।जबकि पर्यावरणविदो के अनुसार प्रदूषण में दिल्ली का खुद का योगदान 85%है।नोटबन्दी के दौर में दिल्ली के भयानक प्रदूषण का मुद्दा खो चूका है।अब नोटबंदी ने दिल्ली से पंजाब भागने की उनकी बदनीयत कोशिश को नाकाम कर दिया है। दिल्ली के पैसे का प्रयोग पंजाब चुनाव के लिए जरूर करेंगे लेकिन दिल्ली की जनता के लिए बिलकुल नही करेंगे।लेकिन जनता जल्द ही उन्हें करार जवाब उन्हें जरूर देगी।