एक नई किताब आ रही है जिसका नाम है छुटपन के दिन। “छुटपन के दिन” एक विचार है अपनी जिंदगी के सबसे अच्छे दिनों को याद कर किसी ऐसे बच्चे की मदद करने का जो शायद दुनियावी परेशानियों मे अपना बचपन जी नहीं पा रहा है। किताब में पांच कहानियों के जरिये , लेखक कई महत्वपूर्ण विषयों की ओर संकेत कर रहा है, जिनमें प्रकृति के प्रति प्रेम , सही खानपान , पेरेन्टिंग , जागरुकता , और साफ-सफाई का जिक्र है। लेकिन इन सबके लिये कहानी कला को ताक पर नहीं रखा गया है । कहानियां शुद्ध रुप से बचपन के आइने से समाज को देखती हैं।
लेखक परिचय :
तुषार उप्रेती की ये पहली किताब है, एऩजीओ के साथ कई सालों से वर्कशॉप्स का सिलसिला जारी था। शुरुआत आई.एम.सी से पत्रकारिता से की थी और सिलसिला अभी भी जारी है। इस बीच एक फिल्म के असिस्टेंट लेखक और डॉयरेक्टर रह चुके हैं और एक नई फिल्म के मूल लेखक हैं। दूरदर्शन और जी.ई.सी चैनल के लिये लिख चुके हैं।