दीपक शर्मा,वरिष्ठ पत्रकार-
महज़ तीन साल पहले मैंने जिस परिचित के लिए दिल्ली के पहाड़गंज में होटल का इंतज़ाम कराया था आज उनके लखनऊ में ठाठ देखकर दंग था. विधान सभा मार्ग पर मुझसे मिलने के लिए वो चमचमाती बीएमडब्लू 7 सीरीज से आये थे. कालेरंग की लिमोज़ीन का पिछला दरवाज़ा खोल जब मुझसे हाथ मिलाने के लिए वो नीचे उतरे तो मै असहज हो गया. लखनऊ की भाषा में कहूँ तो उनके रुतबे को देखकर मै ‘अंडर प्रेशर’ था.
बीएमडब्लू 7 सीरीज टॉप ब्रांड लक्ज़री कार है. देश में इस कार की ऑन रोड कीमत 1 .33 करोड़ रूपए है. मेरे इस परिचित के पास बीएमडब्लू के अलावा कुछ और महँगी गाड़ियां भी हैं. सवाल गाड़ियों की कीमत का नहीं, और ना ही उनकी रहीसी से ईर्ष्या का है. असली सवाल उनकी अचानक आसमान लांघती माली हैसियत को लेकर है .. जिसका मुझे अंदाज़ा नही था. क्राइस्ट चर्च स्कूल के मेरे एक और सहपाठी ने मुझे बताया कि बीएमडब्लू वाले ये परिचत मुलायम के दूसरे बेटे प्रतीक यादव के जब संपर्क में आये तो रातों रात उनकी हथेली में सरसों उगने लगी. और पिछले दो साल में तो वो मुलायम फॅमिली के इतने नज़दीक हुए कि मंत्री/विधायक भी उनसे दबने लगे. प्रतीक के रसूख के ज़रिये ही वो जल्द लखनऊ के रसूखदार दलाल बने. विकास प्रशिकरण से लेकर खनन मंत्रालय में उनकी लाइजनिंग खूब फली फूली और कुछ ही वक़्त में वो हुंडई से बीएमडब्लू पर आ गए. लखनऊ में बीएमडब्लू वालों की कुछ वर्षों में भरमार हुई है.
मित्रों, इस पोस्ट का मकसद किसी परिचित के ठाठ से जलभुनकर भड़ास निकालना कतई नही है.और ये भी अफ़सोस नही है कि नवनीत सहगल जैसे सोने का अंडा देने वाली सरकारी मुर्गियों मेरी खुराक नही बन सकी. या गायत्री प्रजापति जैसे भ्रष्टतम मंत्रियों को ब्लैकमेल कर मै अपना धंधा नही जमा पाया. इस पोस्ट का मकसद ना अपनी ईमानदारी का बखान है और ना किसी एक की बईमानी को बेनकाब करना.
मेरा आग्रह तो उस योगी से है जो तपती छतों के नीचे बिना एयर कंडीशन के सोता है. जो कपडे के जूते और सूती चोला पहनता है. मेरा आग्रह तो उस योगी से है जिसने जीवन की हर लक्ज़री को सार्वजनिक तौर पर ठुकराया है. योगी जी बस एक ही आग्रह है ….लखनऊ में सचिवालय से लेकर मंडी परिषद् , और पीडब्लूडी से लेकर एलडीए तक नेताओं और पत्रकारों की दलाली बन्द करवा दीजिये.बहुत हो चुका 20 परसेंट और 40 परसेंट की दलाली का खेल. गुटखा बाद में बन्द करवाइयेगा पहले ये पाप बन्द करवाइये. सरकारी कागज़ पर बनने और बहने वाले सिंचाई के बाँध, फाइलों पर भुगतान किये जाने वाले नल, नहर और नाले के अरबों के टेंडर और 3 .50 रूपए की जगह 6 .00 रूपए पर खरीदी जानी वाली बिजली के रैकेट को बंद करवाइये.
योगी जी प्रारम्भ मुख्यमंत्री सचिवालय से ही करिये.
और जल्दी करिये…वर्ना गोमती की छींटे आपके भगवे को मैला करने में ज्यादा देर नही लगाएंगी.
योगीजी थाना छोड़िये
RTO दफ्तर जाकर बीएमडब्लू और मर्सेडीज़ की लिस्ट निकलवाइये.
लखनऊ के दलाल आपको कहीं और नही ढूंढने पड़ेंगे.
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