अभिषेक श्रीवास्तव
अगर रायपुर साहित्य महोत्सव में जाना गलत था, तो बनारस के पांच दिवसीय ”संस्कृति” महोत्सव में जाना सही कैसे हो गया? अगर रमन सिंह से हाथ मिलाना गलत था, तो नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए समारोह में कविता पढ़ना सही कैसे हो गया? अगर वहां कार्यक्रम राजकीय था, तो यहां भी यह संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार का है। दोनों आयोजक भाजपा की सरकारें हैं- रायपुर में राज्य सरकार और बनारस में केंद्र सरकार। कोई जवाब है ज्ञानेंद्रपति, विमल कुमार और हरिश्चंद्र पांडे के पास? वही, पुराना घिसा-पिटा, कि हमने तो मोदी के विरोध में वहां पढ़ा था? शेर की मांद में ललकार के आए हैं? बोलिए भाई, नरेंद्र मोदी की तस्वीर के नीचे अपने नाम देखकर आप कैसा महसूस कर रहे हैं।
मित्रो, रायपुर बीस दिन में ही बनारस चला आया है। मौका था 25 दिसंबर यानी गुड गवर्नेंस डे… यानी अटल बिहारी वाजपेयी और महामना का जन्मदिवस… और जगह थी बनारस… यानी मोदीजी का चुनाव क्षेत्र। इस साल का अंत ऐसे ही होना था। अब मैं किसी को कुछ नहीं बोलूंगा, कुछ नहीं पूछूंगा। तस्वीर देखिए, नाम पढि़ए और नए साल का जश्न मनाइए। बस एक बात ध्यान रहे, काशीनाथ सिंह कार्यक्रम में नहीं गए थे।
@एफबी