बाबा किस्म के पत्रकारों का दिल्ली राग !

पुण्य प्रसून आजतक पर फिर हुए क्रांतिकारी, बहुत ही क्रांतिकारी !

वेद विलास उनियाल

वेद विलास उनियाल
वेद विलास उनियाल

दिल्ली में बाबा किस्म के पत्रकारों ने अपनी दुनिया चमकाने के लिए केवल राजनीति को ही खबर मान लिया। इसलिए टीवी पर बस दिल्ली दिल्ली दिल्ली के चुनाव दिखते रहे। बहस केवल दिल्ली के चुनाव पर । खबरे केवल दिल्ली के चुनाव पर। बाबा किस्म के पत्रकारों का स्वार्थ ही था इसमें कि इन्हें दिल्ली की राजनीति के अलावा कुछ नजर नहीं आया।

जबकि इसी बीच
1 -दिल्ली मेट्रो में एक आम व्यक्ति को आठ लाख रुपए का ब्रीफकेस मिला, उसने इसे वापस लौटाया।

2- भिलाई में दूध बेचने वाली एक लड़की भारतीय हाकी टीम में चुनी गई। दिल्ली के बाबा किस्म के पत्रकारों के लिए यह खबर नहीं थी।

3- उत्तराखंड के मलेथा गांव में लोगों ने क्रेशर और खान माफिया के खिलाफ पंद्रह दिन से आमरण अनशन किया था। पूरा गांव आंदोलन में उतरा। बाबा पत्रकारों को इससे मतलब नहीं था। उनकी क्रांति न जाने किन बातों में होती है।

4- कोहरे के कारण ट्रेन यातायात अवरुद्ध रहा। लोग परेशान रहे।

5 – कड़ी सर्दी में दिल्ली में कुछ लोगों की जान चली गई । पर रात की बहस राजनीति पर

6- आर के लक्ष्मण के बीमार होने की खबर एक लाइन में। क्योंकि टीवी के पर्दे पर तो राजनीति के जोशीले कार्यकर्ता दिख रहे थे। और शामं का समय दिल्ली की राजनीति की बहस पर। आर के लक्ष्मण के निधन पर एक भी संजीदा कार्यक्रम टीवी पर नहीं। दाढ़ी बनाते अरविंद केजरीवाल और गुरुद्वारा में रोटी बेलती किरण बेदी इनके लिए अहम।

7- दिल्ली दिल्ली दिल्ली। मानो यही भारत है। इतना हाइप। बरफ गिरने पर हिमालय की पहाडियों में जनजीवन पर क्या असर पड़ा कहीं कुछ खबर नहीं। दिखाया भी तो लोगों को बरफ से खेलते हुए। बस एक दो संजीदा रिपोर्ट

8- बाबा किस्म के पत्रकार दिल्ली पर राजनेताओं से चर्चा करते हुए। किसी बाबा पत्रकार ने असली दिल्ली के दर्शन नहीं कराए। असली दिल्ली को नहीं दिखाया। स्टूडियो में वो लोग बुलाए जो अपनी कारों में आए। विल्स और बुडलैंड का जैकेट पहने। या वो स्टूडेंट जो दिल्ली का मतलब कनाट प्लेस ही समझते हैं।झुग्गी झोपड़ी काआम आदमी नहीं।

9 मैकनाल्ड के एक कर्मचारी के अभद्र व्यवहार पर एक लड़की ने ऐतराज जताया। बहुत बड़ी घटना। एक भिखारी को पैसे देने पर भी वहां घुसने से रोका तो युवती ने सवाल खड़ा किया। लगा इस पर बहस होगी। पर नहीं वहां दिल्ली दिल्ली।

10 – बाबा पत्रकारों को राजनीति से ही मतलब। राजनीति ही उनका असली पड़ाव। इसलिए देश दुनिया केवल राजनीति में ही सिमटी। वहीं धिसी पिटी बातें। लिएंडर पेस ने भारत के नाम को रोशन कर दिया लेकिन बाबा लोगों के लिए दिल्ली का बिन्नी, सोमनाथ भारती, राखी बिड़ला। कुमार विश्वास की कविता। जगदीश मुखी। अचानक अवतरित हुए संजय सिंह। लिएंडर पेस के 15 ग्रैंड स्लेम इनके सामने बहुत छोटे हो गए। बाबा पत्रकारों की कृपा से।

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