पूर्व टेलीविजन पत्रकार आशुतोष राजनीति के दलदल में उतर चुके हैं. आम आदमी पार्टी का खास नेता बनने की उनकी कोशिश है और हो सकता है कि आगे चलकर वे अपनी इस कोशिश में कामयाब भी हो जाए. बहरहाल हम बात उनकी नीतियों को लेकर कर रहे हैं और ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या पेशे के साथ-साथ उनके विचार,सिद्धांत और नीतियां भी बदल गयी है? यदि नहीं तो एफडीआई के मुद्दे पर वे चुप क्यों हैं? दरअसल उनके पूर्व ट्वीट के आधार पर उनसे एनडीटीवी के अखिलेश शर्मा सवाल कर रहे हैं. वे लिखते हैं :
अखिलेश शर्मा
भारत के अनपढ़ नेता रिटेल में एफडीआई का विरोध कर रहे हैं। चीन से सीखना चाहिए।
ये मेरे नहीं, आम आदमी पार्टी में शामिल हुए एक पत्रकार के पुराने उद्गार हैं। अब उन्हीं की सरकार ने रिटेल में एफडीआई के फ़ैसले को पलट दिया है।
वहीं आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ पत्रकार राजीव रंजन झा लिखते हैं :
राजीव रंजन झा
अरे भई, आशुतोष कहेंगे कि देखो यह प्रमाण है कि मैं आईबीएन 7 के संपादक के रूप में ‘आप’ का प्रचार नहीं कर रहा था, जो ठीक लगता था वही कहता था! लेकिन आशु, अब रिटेल एफडीआई पर आपके (‘आप’ नहीं, आप) ताजा विचार क्या हैं, खास कर दिल्ली सरकार के फैसले पर?
क्या आशुतोष चुप्पी तोड़ेंगे?
(स्रोत-एफबी)