आशुतोष के प्रति एसपी के विचार
मेरे पिताजी उन दिनों कोलकाता के नर्सिंग होम में जीवन मृत्यु के युद्ध में थे।मैं व मेरे बड़े भाई एसपी सिंह दोनों ही नर्सिंग होम के बाहर आपस में कुछ सलाह मशविरा कर रहे थे।दिल्ली से शायद मृत्युंजय कुमार जी या संजय पुगलिया जी का फोन आया था।एसपी सिंह जी ने फोन पर बात होने के बाद कहा कि मुझे दिल्ली लौटना होगा व जल्द लौट आऊंगा।तब तक तुम संभाल लोगे न ? मैं बोला की आप निश्चिन्त रहे लेकिन बात क्या है ? उन्होंने फिर बताया आशुतोष-कांशीराम एपिसोड।मेरे मुंह से निकला ठीक हुआ।उन्होंने कहा तुम इतना सैडिस्ट व नेगेटिव सोच क्यों रखते हो ?
खैर, वह दिल्ली लौट गए, वहाँ जो कुछ हुआ वह सभी को पता है।यहाँ पिताजी का निधन हो गया, भागे हुए कोलकाता लौटे।उसी साल 1996 में एक दिन कहे की आशुतोष के बारे में तुम्हारा ओपिनियन सही था।वजह भी सभी को पता है।हाँ, एक बात और कहे थे की आशुतोष ‘स’-‘श’-‘ष’ का उच्चारण नहीं कर पाता है, अपना नाम ठीक से नहीं बोल पाता है।
(वरिष्ठ पत्रकार सत्येन्द्र प्रताप सिंह के वॉल से)