न्यूज़ चैनलों की दुनिया में अनुरंजन झा कोई अनजाना नाम नहीं. दर्शक भी उन्हें बखूबी पहचानते हैं. खूब प्रयोग करते हैं. गिरते हैं, पड़ते हैं, लड़ते हैं, लेकिन संघर्ष करने और नए प्रयोग करने से चूकते नहीं. आजकल देश के पहले मैट्रीमोनियल चैनल ‘शगुन टीवी’ को लेकर चर्चा में हैं. हाल ही में दिग्गज पत्रकारों की उपस्थिति में उन्हें दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुए एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया खबर के मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया और नयी पहल यानी न्यू इनिशिएटिव (New Initiative) का अवार्ड मिला. भारत के पहले शादी-ब्याह चैनल ‘शगुन टीवी’ के प्रमुख ‘अनुरंजन झा’ से मीडिया खबर डॉट के संपादक ‘पुष्कर पुष्प’ ने बातचीत की और उनके नए प्रयोग के बारे में जाना. पेश है पूरी बातचीत :
पुष्कर पुष्प : आप खबरों की दुनिया के आदमी हैं लेकिन अब देश का पहला मैट्रीमोनियल चैनल लेकर आए हैं. ख़बरों की दुनिया से शादी – ब्याह की दुनिया में कैसे आ गए ?
अनुरंजन झा : दरअसल शादी – ब्याह के चैनल के आइडिया बहुत पहले से दिमाग में था. मेरे दिमाग में तो तकरीबन ग्यारह – बारह साल पहले ही आ गया था जब मैंने शादी की थी. लेकिन पिछले आठ सालों से मैं लगातार इसपर काम कर रहा हूँ. टेलीविजन के लंबे अनुभव के आधार पर ये कह सकता हूँ कि हमारे यहाँ ख़बरों को लेकर अजीब कॉन्सेप्ट है. खबर मतलब पॉलिटिक्स होनी चाहिए. लेकिन राजनीतिक खबर ही खबर हो, ऐसा तो नहीं है. मेरा मानना है कि मैं तो ख़बरों की दुनिया में ही हूँ. अंतर सिर्फ इतना है कि अब मैं मैट्रीमोनियल चैनल की बदौलत शादी – ब्याह के मार्केट की खबर दूँगा. मैं एक नयी चीज एक्सप्लोर कर रहा हूँ. लेकिन ख़बरों की दुनिया से बाहर नहीं गया हूँ. क्योंकि मेरी नज़र में न्यूज़ जानकारी है और शगुन टीवी के माध्यम से हम शादी – ब्याह की जानकारी तो दे ही रहे हैं. हाँ हार्डकोर पत्रकारिता से ये अलग जरूर है. इसमें कोई दो राय नहीं. दरअसल हम कुछ नया करना चाहते थे. उस दिशा में इतने न्यूज़ चैनलों के बीच एक और न्यूज़ चैनल लाने का औचित्य मुझे ठीक नहीं लगा. फिर मैट्रीमोनियल चैनल के इस आइडिया पर और अधिक मंथन हुआ और उसी का परिणाम है कि देश का पहला मैट्रीमोनियल चैनल शगुन टीवी आपके सामने है.
पुष्कर पुष्प : आपने जैसा कहा कि खबरों और पत्रकारिता की दुनिया में आप अब भी है. लेकिन भारत में इंटरटेनमेंट, कूकरी आदि की कवरेज को अब भी पत्रकारिता की श्रेणी में नहीं माना जाता. वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ‘जायका इंडिया का’ पेश करने के कारण कई बार आलोचना के केंद्र में रहते हैं कि देश – समाज की बात करने की बजाए वे टेलीविजन पर खानसामा बने हुए हैं. आपकी इस बारे में क्या राय है? क्या लाइफस्टाइल, कूकरी और शादी ब्याह की खबरों की कवरेज को भी पत्रकारिता माना जाना चाहिए?
अनुरंजन झा : आप ठीक कह रहे हैं. भारत में लाइफस्टाइल आदि को पत्रकारिता की श्रेणी में नहीं गिना जाता. दरअसल ऐसी मानसिकता ही बन गयी है. लेकिन यदि भारतीय पत्रकारिता के पिछले 50 सालों को देखेंगे तो आपको कई परिवर्तन दिखाई देंगे. मसलन फिल्म पत्रकारिता को पहले उतना महत्व नहीं मिलता था. लेकिन धीरे – धीरे ढेरों फिल्म पत्रिका, प्रोग्राम और चैनल आ गए . यानि इसके बाज़ार को एक्सप्लोर किया गया. मेरा ये कहना है कि हमको कुछ नया प्रयोग तो करते ही रहना चाहिए. रही बात विनोद दुआ जी की तो वे अपने आप में बड़ी हस्ती हैं. उन्होंने जमकर पत्रकारिता की है. वे जायका इंडिया भी जब करते हैं तो अपनी बात को बड़ी सहजता से रखते हैं जो सबके वश की बात नहीं. कहने का मतलब है कि कलेवर तो बदला है लेकिन नए फ्लेवर की भी जरूरत है और उसे स्वीकारने की मानसिकता बनाने की जरूरत है.
पुष्कर पुष्प : आपने न्यूज़ चैनलों के साथ काम किया है. वहां भी लॉन्चिंग करवायी है. लेकिन शगुन टीवी आपका ड्रीम प्रोजेक्ट है. अब जब आपका यह ड्रीम पूरा हो चुका है तो कैसा महसूस कर रहे हैं? न्यूज़ चैनलों के प्रोजेक्ट और शगुन टीवी के प्रोजेक्ट में क्या अंतर पाते हैं?
अनुरंजन झा : शगुन टीवी सपना पूरा होने की दिशा में पहला कदम है. अभी बहुत से पायदान बाकी हैं. आपके इस सवाल से मुझे वो लम्हा याद आ रहा है जब इंडिया टीवी लॉन्च हुआ था. उस लॉन्चिंग टीम में मैं भी था. लॉन्चिंग के बाद रजत जी (रजत शर्मा – इंडिया टीवी के मालिक) ने कैंटीन में जेनरल बॉडी की एक मीटिंग बुलाई थी और उस मीटिंग में उन्होंने कहा कि मैंने एक सपना देखा था जो आज पूरा हो गया. यह कहते हुए उनकी आँखे डबडबा गयी थी. उनकी इस बात से सीखने को मिला कि संघर्ष और लक्ष्य के प्रति आपमें समर्पण भाव है तो कहीं – न – कहीं तो आप जरूर जाकर टिकेंगे.
देखिए वैसे भी हमलोग जिस पृष्ठभूमि से आते हैं उसमें कभी ये नहीं सोंचा था कि पत्रकारिता करेंगे या चैनल लॉन्च करवाएंगे. स्कूली शिक्षा खत्म करके जब बिहार (मोतिहारी) से दिल्ली आना हुआ तब एक तरह से पूरी तरह से ब्लैंक थे. क्या करना है ये पता नहीं था. हाँ पर ये स्पष्ट था कि दिल्ली आने का मकसद करियर बनाना है. पढ़ना – लिखना है और अच्छी नौकरी हासिल करनी है. बिहार से उस वक्त कम लोग दिल्ली आते थे और जो आते थे वे अच्छे पढ़ने – लिखने वाले लोग होते थे और उनमें से ज्यादातर का मकसद सिविल सर्विसेज होता था. लेकिन मेरी सोंच थोड़ी सी अलग थी. नौकरी करने का इरादा तो था लेकिन सिविल सर्विसेज में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी. इसलिए मैंने कभी प्रयास ही नहीं किया. मेरे पिता पुलिस अधिकारी थे और बड़े भाई डिफेन्स में थे. मेरे चाचा भी डिफेन्स में थे. मेरे दादा भी शिक्षक थे. इसलिए जो पारिवारिक माहौल मिला था वह पूरा नौकरी वाला था. पत्रकारिता में संयोगवश आ गए और फिर सिलसिला चल पड़ा. कुछ सपने पूरे हुए और कुछ टूटे. उन्हीं सपनों में से एक सपना शगुन टीवी भी है जिसके पहले पायदान पर बस अभी मैंने कदम रखा है.(मुस्कुराते हुए)
पुष्कर पुष्प : शादी-ब्याह के चैनल (मैट्रीमोनियल चैनल) की परिकल्पना आप वर्षों से कर रहे थे. कभी लगा कि ये सपना अब पूरा नहीं हो पायेगा?
अनुरंजन झा : ऐसा कई बार लगा. उस दौरान मेरे दिमाग में दो बातें आती थी. एक कि जिस मार्केट के बारे में मैं सोंच रहा हूँ उसके बारे में दूसरे लोग क्यों नहीं सोंच रहे हैं. वेब और प्रिंट पर शादी – ब्याह का इतना बड़ा बाज़ार है. लेकिन टीवी पर कोई क्यों नहीं सोंच रहा. मैं कोई गलती तो नहीं कर रहा? एक तरफ मन ये कहता था तो दूसरी तरफ मन में ये भी आता था कि हो सकता है तुम्हारे ही सहारे ये काम होना हो. तुम्हे ही इसकी पहली कड़ी बनना हो. यह एक दुविधा की स्थिति थी जिसमें डर भी लग रहा है और उसके बावजूद कंसेप्ट पर मैं काम भी कर रहा हूँ. पिछले आठ साल में कम-से-कम एक हजार आइडिया तो मैंने लिखे होंगे कि इस तरह के प्रोग्राम चैनल पर दिखाया जाना चाहिए. लेकिन कई बार लगता था कि यह पूरी मेहनत कहीं बर्बाद तो नहीं हो रही. इंडिया न्यूज़ में रहते हुए मैंने इस कॉन्सेप्ट पर वहां के संस्थान से बात की. उनलोगों ने भी कहा कि हाँ हम करेंगे. लेकिन अंत में नहीं हुआ. उस परिस्थिति में ऐसा लगा कि पता नहीं हो पायेगा की नहीं. उसके बाद सीएनइबी में आया. यहाँ पर बात काफी आगे तक बढ़ी. यहाँ पर तो हमने नाम तक तय कर लिया था. लेकिन सबके बावजूद चीजें आकार नहीं ले पायी. यानी दो बार आगे बढ़कर फिर पीछे हटना पड़ा. लेकिन जब सीएनइबी छोड़ा तो सोंचा कि कहीं से पैसे का इंतजाम करके इसे अब बस कर ही डालते हैं. फिर जब चैनल का नाम मिल गया और फेसबुक पर मैंने लिखा तो पुराने संस्थानों के कई मित्रों का फोन आया कि पता नहीं तुम्हारा क्या बजट है क्योंकि इसमें कम – से – कम सौ करोड़ का खेल है. बहरहाल हाँ – हाँ कहके मैं आगे बढ़ा कि हाँ मुझे पता है और इतने का इंतजाम मैं कर लूँगा.
पुष्कर पुष्प : देश के पहले मैट्रीमोनियल चैनल ‘शगुन’ टीवी का सपना कैसे पूरा हुआ? भारत में शादियाँ खर्चीली होती है और आप तो शादी – ब्याह का चैनल ही खोलने जा रहे थे. पैसों का इंतजाम एक बड़ी चुनौती रही होगी?
अनुरंजन झा : सीएनइबी छोड़ने के बाद मैं कुछ प्रोग्राम पर काम करने लगा. मेरे एक भाई समान मित्र आनंद झा हैं. उनसे एक दिन मैंने ऐसे ही चर्चा की. तो उन्होंने कहा कि अरे आप न्यूज़ के आदमी हैं, न्यूज़ चैनल कीजिये और उसके लिए हमलोग कुछ कोशिश कर सकते हैं. फिर उन्होंने मेरी मुलाक़ात वरटैंड मीडिया के चेयरमेन चक्रधर धौंढियाल से करवायी. उन्होंने कहा कि मेरे पास न्यूज़ का लाइसेंस है. कहाँ आप न्यूज़ कीजिये. ख़ैर एक दिन उनके साथ दो दिन की छुट्टी पर देहरादून जा रहे थे तो रास्ते में मैंने उनसे कहा कि मैं एक और न्यूज़ चैनल नहीं करना चाहता. आपके पास न्यूज़ चैनल का लाइसेंस है. लेकिन आपको एक प्रयोग करना चाहिए. फिर मैंने उन्हें मैट्रीमोनियल चैनल के आइडिया के बारे में विस्तार से बताया. कॉन्सेप्ट सुनने के बाद उन्होंने गाड़ी रुकवा कर कहा कि , ‘its brilliant. दरअसल हमें यही करना चाहिए. न्यूज़ तो फिर हम बाद में भी कर लेंगे. पहले इसको करते हैं.’ बस इस तरह से शुरुआत हो गयी. देहरादून में दो दिन छुट्टियाँ बिताने के बाद दिल्ली वापस लौटे और लौटते ही काम शुरू हो गया.
(पुष्कर मुस्कुराकर – यानी देहरादून की आपकी यात्रा अच्छी रही. वैसे भी काफी लोग शादी के बाद देहरादून जाते हैं और आपने शादी – ब्याह के चैनल को लॉन्च करने की रूपरेखा ही वहां बना डाली. अनुरंजन झा हँसते हुए – हाँ वाकई में यात्रा बहुत सफल रही. शुभ रही. फिर उसके बाद क्या करना पर कभी चर्चा नहीं हुई. हमेश ये चर्चा हुई कि कैसे करना है?)
पुष्कर पुष्प : अच्छा आपने चैनल का नाम ‘शगुन टीवी’ ही क्यों रखा?
अनुरंजन झा : मैरेज टीवी, शादी इंडिया आदि कई नामों पर हमने विचार किया था. लेकिन शगुन टीवी ज्यादा बेहतर लगा. हिंदू संस्कृति में हरेक शुभ काम के पहले कहते है कि शुभ शगुन है. यानी अच्छी चीज में इसका इस्तेमाल होता ही है. इसलिए मुझे लगा कि यह नाम बिल्कुल सटीक रहेगा. फिर मैरेज टीवी या इससे मिलते जुलते नाम के साथ ये समस्या थी कि इससे दायरा सिर्फ शादी तक ही सीमित हो जा रहा था जबकि शगुन टीवी नाम से दायरा विस्तृत हो जाता है. उसमें शादी के अलावा ज्वेलरी, ब्यूटी आदि तमाम चीजें भी आ जाती है.
पुष्कर पुष्प : शगुन टीवी को लेकर दर्शकों और सोशल मीडिया से कैसी प्रतिक्रिया मिल रही है?
अनुरंजन झा : देखिए केबल और विडियोकॉन डीटीएच प्लेटफॉर्म के जरिए हम गुजरात, मुंबई, दिल्ली और एनसीआर, बिहार, पंजाब, राजस्थान आदि कई राज्यों में शुरू से दिख रहे हैं. वहां से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. बहुत सारे दर्शकों के फोन भी आए हैं और उनसे चैनल के बारे में अच्छी प्रतिक्रिया ही मिली है. शगुन टीवी के लॉन्च होने पर सोशल मीडिया पर जिस तरह से चर्चा हुई, वो भी काफी सकरात्मक रही है. इंडस्ट्री में भी चर्चा है और जानकार कह रहे है कि ये तो पहले ही होना चाहिए था. सुनने में तो ये भी आया है कि कई और मीडिया संस्थान शगुन टीवी से मिलते – जुलते आइडिया पर काम भी शुरू कर चुके है और कुछ समय बाद शायद ऐसा ही चैनल लेकर भी आ जाएँ.
पुष्कर पुष्प : मैट्रीमोनियल चैनल के रूप में शगुन टीवी आ चुका है. आने वाले समय में इस तरह के कई और चैनल आयेंगे. मार्केट में पहले से ही काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धा है. चैनल के लिए रेवेन्यू जुटाना आसान नहीं. आपलोगों ने इसके लिए क्या योजना बनायी है?
अनुरंजन झा : आप सही कह रहे हैं. आने वाले समय में प्रतिस्पर्धा बढ़ने वाली है. इस तरह के दूसरे चैनल भी जरूर आयेंगे. लेकिन मैं उसके लिए तैयार हूँ. देखिए शादी का बाज़ार बहुत बड़ा है. मैं बहुत सोंच – सोंच कर चलूँगा. लेकिन जब बड़े प्लयेर आयेंगे तो वे मार्केट की दिशा भी बदलेंगे. छोटे चैनल के प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा. अभी शगुन टीवी की प्रतिस्पर्धा इंटरटेनमेंट चैनलों से है. इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री कई हिस्सों में बंटी हुई है. एक है जीईसी (GEC), दूसरा लाइफस्टाइल तीसरा स्पोर्ट्स और चौथा मूवीज चैनलों का सेगमेंट है. एक तरह से देखा जाए तो अभी मेरी फाईट इन तीनों से है और दूसरी तरह से देखा जाए तो मेरी फाईट किसी से नहीं है. क्योंकि इस सेगमेंट शगुन टीवी अकेला है. इसलिए मार्केट हमलोग तय करेंगे. कहने का मतलब है कि विज्ञापनदाताओं के साथ मिलकर हम बात करते हैं कि आप तय कीजिये कि शगुन के लिए मार्केट क्या होना चाहिए? वैसे यह समय ही तय करेगा कि किससे हमारा कम्पीटिशन है और किससे हम आगे निकल्राहे हैं. हाँ इतना जरूर है कि हमें उस दिशा में नहीं जाना कि सोनी, कलर्स, एनडीटीवी गुड टाइम या फैशन टीवी ने क्या किया? वर्तमान स्थिति ये है कि हमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों जगह पर नोटिस किया जा रहा है. बड़ी एजेंसियों ने हमें एप्रोच किया है. कनाडा, अबू धाबी और दुबई जैसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भी लोग हमें चाह रहे हैं. इसलिए लगता है कि कुछ अच्छा ही होगा.
पुष्कर पुष्प : अमूमन लाइफस्टाइल, मनोरंजन या इस तरह के चैनल लॉन्च होते हैं तो किसी बड़ी हस्ती या सेलिब्रिटी को ब्रांड एम्बेसडर के तौर पर नियुक्त किया जाता है. शगुन टीवी ने ऐसा क्यों नहीं किया?
अनुरंजन झा : इस मुद्दे पर हमने आपस में काफी चर्चा की. काफी मंथन हुआ और तब यही विचार आया कि जब हम नया कर रहे हैं तो बिल्कुल ही नया क्यों न करें? हम शगुन टीवी के माध्यम से आम आदमी को सेलिब्रिटी बनाने जा रहे हैं. इसलिए हमारा ब्रांड एम्बेसडर इस देश का आम आदमी है.
पुष्कर पुष्प : लेकिन आप आम आदमी को चैनल से कैसे जोडेंगे? शादी – ब्याह बहुत व्यक्तिगत मसला होता है. क्या चैनल के जरिए लोग इसे सार्वजनिक करना पसंद करेंगे?
अनुरंजन झा : देखिए ये पूरा मामला कंटेंट पर निर्भर करेगा. लोगों को अपनी व्यक्तिगत बातों को साझा करने में दिक्कत हो सकती है. लेकिन उसे शादी के लिए कपड़े ख़रीदे जाने के दृश्य को दिखाए जाने से कोई दिक्कत नहीं होगी. इसी तरह फैशन, ज्वेलरी और ब्यूटी आइटम्स को दिखाए जाने से भी हिचक नहीं होगी. दरअसल हम आम आदमी का कनेक्ट ढूँढ रहे हैं और हमारी पूरी प्रोग्रामिंग की दिशा भी उसी ओर है. शुरूआती दौर में नयी चीज के साथ उत्सुकता भी रहती है. लेकिन यदि आपका कंटेंट अच्छा होगा तो दर्शक आपसे धीरे – धीरे जुड़ते चले जायेंगे. यदि आइडिया अच्छा है तो लोग एक बार आयेंगे. लेकिन कंटेंट अच्छा है तो लोग बार – बार आयेंगे. इसलिए हमारा सारा फोकस कंटेंट पर है और उसी हिसाब से हमने प्रोग्रामिंग भी की है. क्योंकि अभी हमें दर्शक की नब्ज का पता नहीं कि उन्हें क्या पसंद आएगा और क्या नहीं. उसके लिए पूरी स्ट्रेटजी हमने पहले ही तैयार कर ली है. आगे देखते हैं. अभी तो रास्ता लंबा है. थोड़ा समय बीतने के बाद ही पता चल पायेगा कि हम कहाँ है?
पुष्कर पुष्प : शगुन टीवी के कुछ कार्यक्रमों के बारे में बताएं?
अनुरंजन झा : सुबह में ज्योतिष पर आधारित एक कार्यक्रम ‘जन्म-जन्म का साथ’ हम दिखाते हैं. इसमें स्शादी – ब्याह से जुड़ी ज्योतिषीय बातचीत सुबह में करते हैं. इसके बाद हमारा एक शो है ‘मेरे जीवन साथी’ जो प्रोफाइल बेस्ड है और इसमें ब्राइड – ग्रूम्स के बारे में हम बताते हैं. इसके अलावा घर परिवार पर आधारित ‘सास को सास ही रहने दो’ नाम का एक शो है. शाम को कुंडली मिले नाम का शो दिखाया जाता है जिसमें पब्लिक द्वारा भेजी गयी कुंडलियों पर विस्तार से चर्चा होती है. उसके बाद लाइव शादी या रिकॉर्डिंग का शो है और रात को मेरा एक शू है – ‘तो बात पक्की’. इसमें जिनकी शादी तय हो गई है उस जोड़ी के और उनके परिवार वालों के साथ बड़ी अच्छी बातचीत होती है. दोनों परिवारवाले खुलकर बात करते हैं. उसके अलावा ज्वेलरी पर एक शो है बोल्ड एंड ब्यूटीफूल. इसके अलावा भी कई दूसरे वीकेंड शो हैं और कुछ शो निकट भविष्य में लॉन्च होंगे.
पुष्कर पुष्प : एक आखिरी सवाल. अगले छह महीने में शगुन टीवी को लेकर क्या योजना है? चैनल को कहाँ पहुँचाना चाहते हैं?
अनुरंजन झा : मेरी कोशिश ये है कि शादियों को लेकर लोगों को वन स्टॉप सोल्यूशन मिले. यानी सारी जानकारी एक ही जगह. शादी की खरीदारी से लेकर कुंडली मिलान, गहने से लेकर हनीमून डेस्टिनेशन की तलाश या फिर किसी समस्या का समाधान. वन स्टॉप सोल्यूशन ‘शगुन’ दे. यदि सब ठीक रहा और हम योजनाबद्ध तरीके से बढ़ने में सफल हुए तो छह महीने बाद हम शगुन के पचास सेंटर देशभर में खोलेंगे.
मीडिया खबर डॉट कॉम से बातचीत करने के लिए आपका धन्यवाद.
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