डॉ. मुकेश कुमार
FAKEएनकाउंटर
———ये डाउट तो मुझे भी है-अन्ना हज़ारे———-
फ्लाइट से पुणे और फिर वहाँ से टैक्सी लेकर जब मैं रालेगन सिद्धि पहुँचा तो दिन ढल चुका था। अन्ना हज़ारे के आश्रम में उस समय सन्नाटा पसरा हुआ था। पक्षियों की चहचहाहट के अलावा कुछ भी सुनाई नहीं पड़ रहा था। मैंने इस तरह की वीरानगी की अपेक्षा नहीं की थी। मुझे लगा था कि चहल-पहल होगी, मुलाकातियों की भीड़भाड़ होगी। मगर कुछ भी न था। मैंने वहाँ गाँधी टोपी पहने एक बुजुर्ग से इसकी वजह पूछी तो उसने मराठी अंदाज़ में बताया- जिसको जो चाहिए था मिल गया, अब अन्ना को कौन पूछता है। फिर जब लोगों को ज़रूरत पड़ेगी तो चील-कौए की तरह मँडराने लगेंगे। दरअसल, उसने हक़ीक़त बयान कर दी थी। ये बात मुझे अन्ना से बात करते हुए भी समझ में आई।
अन्ना अंदर पालथी मारकर बैठे किसी अख़बार में आँखें गड़ाए हुए थे। मैंने नमस्कार किया और उनके पास ही ज़मीन पर बैठ गया। उन्होंने पहले मुझे ग़ौर से देखते हुए पूछा-किस पार्टी के हो?
मैंने कहा ही था कि मैं किसी पार्टी से नहीं हूँ कि उन्होंने बात काटते हुए दूसरा सवाल दाग दिया-राजनीति करते हो? मैंने कहा नहीं मैं तो….उन्होंने फिर मुझे रोका-तो आगे राजनीति करना चाहते हो, सांसद, मंत्री, प्रधानमंत्री बनना चाहते हो? मैंने छूटते ही कहा- जी मैं पत्रकार हूँ, आपका इंटरव्यू करने आया हूँ।
मेरे इस जवाब के बाद भी अन्ना का अंदाज़ नहीं बदला। वे बोले- यहाँ लोग तरह-तरह के भेष में आते हैं, कोई समाजसेवी, कोई क्रांतिकारी, कोई आंदोलनकारी, कोई साधु, कोई पत्रकार। मेरा अब किसी पर भरोसा नहीं रहा। सब मुझे यूज करने के लिए आते हैं और यूज करने के बाद फेंक देते हैं। मुझे अब सब लोगों पर डाउट होने लगा है।
जी मैं आपकी पीड़ा समझता हूँ, इसीलिए आपसे बात करने आया हूँ, ताकि लोगों को पता चले कि आपके साथ क्या हुआ और आप आगे क्या करने जा रहे हैं।
मेरे साथ जो हुआ इसमें किसी को कोई डाउट है क्या? पहले केजरीवाल एंड कंपनी ने यूज किया। ठीक है कि उन लोगों ने देशहित में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और जब मेरा उनसे मतभेद हो गया तो उन्होंने मेरा उपयोग भी नहीं किया। लेकिन उसके बाद किरण बेदी, रामदेव, जनरल वीके सिंह, ममता बैनर्जी, लंबी सूची है मेरे नाम का फ़ायदा उठाने वालों की। सबने अपना मतलब साधा और चल दिए। अब कोई इधर नहीं आता।
कोई नहीं आता….?
शून्य में निहारते हुए उन्होंने जवाब दिया-आते हैं कुछ लोग….मैं चेहरा देखकर समझ जाता हूँ कि क्या चाहते हैं वे। इस समय ज़्यादातर आने वाले वे होते हैं जो नहीं चाहते कि मैं कुछ करूँ। बस चुपचाप पड़ा रहूँ। कोई आवाज़ नहीं उठाऊं। उनकी नीयत पर डाउट होता है मुझे।
अभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री आपके दर्शन करके गए थे?
हाँ, फणनवीस आया था मेरा आशीर्वाद लेने। असल में क्या है कि रालेगन एक शक्तिपीठ बन गया है न। घबराते हैं सब। सबको डाउट रहृता है मुझे लेकर कि कहीं अन्ना कोई आंदोलन न खड़ा कर दे, परेशानी न खड़ी कर दे। इसलिए मत्था टेकने चले आते हैं।
दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं, आप किसी को अपना आशीर्वाद देंगे?
मैं तो राजनीति के दलदल से दूर हूँ। हालाँकि मुझे अरविंद को लेकर कोई डाउट नहीं है। वह अच्छा काम करना चाहता है, मगर उसमें राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाग गई है। और बीजेपी की तो अभी बात ही करना बेकार है। उसका तो एजेंडा ही मेरे समझ में नहीं आ रहा। वह भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है या समृद्ध देश।
तो आपने क्या तय किया है? क्या चुप रहेंगे?
अभी आत्मचिंतन कर रहा हूँ। थोड़ा डाउट में हूँ। सोच रहा हूँ क्या करूँ, कैसे करूँ? किसी के साथ जाऊँ या अकेले ही अनशन शुरू कर दूँ?
अनशन….लेकिन किस मुद्दे पर?
इसको लेकर थोड़ा डाउट है मुझे क्योंकि मुद्दे कई हैं….किसानों की खुदकुशी का है….काले धन का है। बेरोज़गारी का है, अमीरी-ग़रीबी में बढ़ती खाई का है। दुख होता है ये देखकर कि बीस फ़ीसदी आबादी मौज़ कर रही है और बाक़ी को फाँके करने पड़ रहे हैं। फिर ये भी डाउट है कि अनशन कहाँ करूँ, किसके ख़िलाफ़ करूँ। ये तो है कि दिल्ली में करने से मीडिया कवरेज अच्छा मिलता है, सोचता हूँ वहीं करूँ।
आपको लगता है कि आप अनशन करेंगे तो लोग आपके साथ आएंगे?
ये डाउट तो मुझे भी है। लोगों के दिमाग़ से अच्छे दिनों का भूत अभी ठीक से उतरा नहीं है। ऊपर से ये हिंदू- मुस्लिम का फसाद शुरू करके लोगों का ध्यान बँटाया जा रहा है।
तो गाँधीजी की तरह आप हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम नहीं करेंगे?
करना तो चाहता हूँ, लेकिन थोड़ा डाउट है। सोचता हूँ कि अभी सही समय आया है या नहीं।
क्यों….रोज़-रोज़ इतने बखेड़े खड़े हो रहे हैं…धर्मांतरण, गोरक्षा, लव जिहाद, पीके आदि को लेकर। सांप्रदायिक तनाव बढ़ता जा रहा है। अगर अभी आप जैसे लोग चुप रहेंगे तो कब बोलेंगे?
बोलना तो चाहता हूँ लेकिन क्या बोलूँ इसको लेकर थोड़ा डाउट है। फिर ये भी डाउट है कि कोई मेरी सुनेगा भी या नहीं। कहीं ऐसा न हो कि वे मेरे पीछे ही प़ड़ जाएं। बुरा मत मानना लेकिन मीडिया को लेकर भी मुझे डाउट है। सांप्रदायिकता बढ़ाने में उसकी भूमिका भी कम नहीं है।
तो ये डाउट आपका कब तक दूर हो जाएगा?
देखो डाउट तो डाउट होता है। होने को अभी दूर हो सकता है और न हो तो कभी नहीं। लेकिन मैं आत्मचिंतन कर रहा हूँ। आत्ममंथन से कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा।
लेकिन इस बार इसकी क्या गारंटी है कि आप यूज नहीं होंगे?
देखिए आपका डाउट जायज़ है। मैं गाँव का सीधा-सादा, कम पढ़ा-लिखा मानुष हूँ। फिर भी इस बार मैं कोशिश करूँगा कि कोई मुझे यूज न करे।
आपको नहीं लगता कि आप चुप रहकर भी एक तरह से यूज़ ही हो रहे हैं?
हो सकता है कि आपका डाउट सही हो। लेकिन मैं क्या करूँ। बोलूँगा तो यूज़ हो सकता हूँ इसलिए चुप हूँ। अब आप कहते हैं चुप हूँ इसलिए यूज हो रहा होऊँगा, तो आपने तो मुझे डाउट में डाल दिया न।
जी आपसे मिलकर मुझे लगता है कि मेरा भी डाउट बढ़ गया है। मुझे ये भी डाउट है कि इस डाउटफुल इंटरव्यू के बाद मेरा संपादक मुझे नौकरी से चलता कर देगा, क्योंकि पहली बार उसने फ्लाइट का खर्चा करके मुझे किसी का फ़ेक एनकाउंटर करने भेजा था।
@fb
पहली बार कोई फेक असल से भी असली लगा है. बधाई है इस पत्रकार को जिसने हवाई जहाज का भाड़ा भी बचा लिया और इतना सच्चा इंटरव्यू भी कर दिखाया.
वैसे मुझे अन्ना भी पूरा फेक लगते हैं. पर यह अलग बात है.
baise Anna G didi ke Supporter rahe hai …ab..didi sharda chitfund me fasti nazar aa rahi hai …CBI waale didi k pichhe pade hai…aur didi ..aantakiyon ko support de rahi hai…ess baar dout hai ki vo dubara CM banegi…!!