प्रेस कांफ्रेंस में अक्सर सवाल पूछने के लिए पत्रकारों के बीच मारा-मारी होती है. कोई सवाल पूछना चाहता ही है तबतक बीच में कोई दूसरा टपक जाता है. लेकिन भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह की प्रेस कांफ्रेंस में आज अलग ही नजारा था.
झारखंड और जम्मू-कश्मीर में परिणाम आने के बाद अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस कर पत्रकारों से बातचीत की. इसका सीधा प्रसारण न्यूज़ चैनलों पर हो रहा था. लेकिन प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कोई अफरा-तफरी और शोर-शराबा सुनाई नहीं दिया. सवाल पूछने का तरीका कुछ ऐसे सिस्टेमेटिक तरीके से रखा गया था कि उसकी गुंजाइश ही नहीं थी.
न्यूज़ चैनलों पर लाइव चल रहे प्रेस कांफ्रेंस में एक-के-बाद एक पत्रकारों को बारी-बारी से सवाल पूछने का मौका दिया जा रहा है. एक-एक कर नाम लिया जा रहा है. सवालों के लिए भी लाइन.
लेकिन अच्छा है. झांउ-झांउ ,घांउ – घांउ नहीं हो रहा. एक के बाद एक नाम विकास भदोरिया, रीमा पराशर, अखिलेश शर्मा,राधिका,महुआ चटर्जी………..वाह जी वाह. जैसे सिस्टेमेटिक अमित शाह वैसी ही उनकी प्रेस कांफ्रेंस.
बस खटका ये कि सवालों को इस सिस्टम से ऐसे घेर दिया कि वे सवालों के जवाब में जिरह नहीं कर पाए. ये तो बड़ी नाइंसाफी है शाह साहब.