निखिल आनंद गिरी
‘किरण बेदी बीजेपी में हैं, आज के लिए इतना न्यूज़ काफी है. किस सीट से लड़ेंगी या सीएम..ये सब बाद में’ अमित शाह जिस बेशर्मी से ये सब कहता है, उसी निर्लज्जता से न्यूज़रूम ये सब दिखाता है. न ‘अमित अंकल’ की बात से आगे कुछ न पीछे कुछ. ये हमारे समय की रिपोर्टिंग है जिसे खुलेआम न्यूज़ की सीमा बताने के बदले उसका मुुंह नोच लेना था मगर वो सचमुच बीजेपी ऑफिस के आगे रतजगा करता है, न्यूज़ की अगली बोटी के लिए. या किसी भी ऐसे दलाल के आगे जो न्यूज़ रिपोर्टर को डाकिए से ज़्यादा कुछ नहीं समझता. दर्शक तक क्या “चिट्ठी” पहुंचेगी वो कोई रिसर्च नहीं, एक ऑटोमैटिक कैमरा और उसके आगे का मदारी बतायेगा. और आप सोचते हैं कि बिहार में दलितों के हत्यारों को बाइज्ज़त बरी करने वालों पर मीडिया में कुछ भी क्यूं नहीं चला. बुड़बक हैं आप. शाज़िया इल्मी से कुछ सीखिए. वो भी मीडिया स्कॉलर रही है.
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