संजय तिवारी
हिन्दुओं के साथ समस्या यह है कि वे पलायन कर जाते हैं। कश्मीर हो कि कैराना। वे इसके अलावा कुछ कर भी नहीं पाते। फिर भी इनके बारे में बोलने की जरूरत इसलिए नहीं है क्योंकि वे “अल्पसंख्यकों” के शिकार बनते हैं। बीते दो तीन सालों में जब मुजफ्फरनगर के दंगों को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश काफी चर्चित रहा है तब मेरठ मंडल के कैराना कस्बे से अब तक करीब साढ़े तीन सौ हिन्दू परिवारों का पलायन हो चुका है। ज्यादातर व्यापारी वर्ग के लोग हैं जिनको आयेदिन निशाना बनाया जाता है। कभी वसूली की धमकी तो कभी गोली मारकर हत्या।
ऊपर से देखने पर भले ही यह लॉ एण्ड आर्डर की समस्या नजर आती है लेकिन हकीकत में कहानी कुछ और है। एक स्थानीय निवासी बता रहे हैं कि “आये दिन छेड़छाड़ की घटनाएं, घरों से लड़कियों का निकलना दूभर हो गया है। आप बताइये किसी की जान माल पर बन आयेगा तो वह क्या करेगा?” हालात वैसे ही हैं जैसे सूदूर कश्मीर में थे। इसकी तस्दीक जागरण की यह रिपोर्ट भी कर रही है जो बता रही है कि जिन लोगों के पलायन का दावा किया गया था सचमुच उनके घरों पर ताले लगे हैं लेकिन प्रशासन की जिम्मेदारी का आलम यह है कि अखिलेश के डीएम अभी भी सबूत तलाश रहे हैं।