अजीत अंजुम,मैनेजिंग एडिटर, इंडिया टीवी
ऐसे वक्त में जब भारतीय सेना की जांबाजी से देश का सिर ऊंचा हुआ हो..पाकिस्तान के घर में घुसकर आतंकी ठिकानों के नेस्तानाबूद करने की खबरों पर देश जश्न मना रहा हो , इतिहासकार इरफान हबीब का चौंकाने वाला बयान आया है…इरफान हबीब ने कहा है ‘अच्छा होता अगर हम लोग इंटरनेशऩल गाइड लाइन का पालन करते ..ये तो उसी तरह का काम है , जैसा पाकिस्तान ने किया है..ये अच्छी बात नहीं ..गलत काम का जवाब गलत काम से नहीं दिया जा सकता.
इरफान हबीब जाने माने वामपंथी इतिहासकार हैं , पद्म भूषण समेत कई सम्मानों से सम्मानित हैं . बतौर इतिहासकार उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं . दुनिया भर में उनका नाम भी है लेकिन पाक के आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना के हमले के बाद ऐसी नसीहत गले से नहीं उतरती . इंटरनेशनल गाइड लाइन का पालन करना चाहिए और भारत करता भी रहा है लेकिन पाकिस्तान अब तक क्या करता रहा है, ये हबीब साहब भी जानते हैं और दुनिया भी जानती है. अगर देश के कुछ दुश्मनों को मौत के घाट उतारकर सेना ने जाबांजी की मिसाल कायम की है तो ये वक्त पीठ थपथपाने का है..नुक्ताचीनी का नहीं…सारे कायदे कानून का पालन करते हुए भी कभी कभी दुश्मनों को ठिकाने लगाने के लिए युद्ध के नियम बदलने पड़ते हैं.. सरकार और सेना ने वो कर दिखाया है , जिसका देश इंतजार कर रहा था… तो हबीब साहब , मौके की नजाकत को समझिए और जन भावनाओं की कद्र करिए …गर्व करिए उन जाबांजों पर , जिन्होंने जान पर खेलकर आंतकियों को मार गिराया और सही -सलामत लौट आए….
पाकिस्तान आतंकियों का रहनुमा है और हाफिज, लखवी, सलाउद्दीन से लेकर डी कंपनी तक का घोषित सरपरस्त. फिर अगर इस पाकिस्तान के साथ दशकों से चल रही बातचीत और मेल मिलाप की कोशिशों का अंजाम ये हो कि कभी मुंबई हमले में पौने दो सौ बेकसूर मारे जाएं तो कभी ट्रेनों और बाजारों में बम धमाकों में दर्जनों जानें चली जाए..कभी संसद पर हमला हो तो कभी उड़ी में सेना के कैंप पर हमला हो जाए और हर बार तमाम सबूतों को झुठलाकर पाक खुद को पाक साफ घोषित कर दे तो उसके साथ कभी – कभी ऐसा भी सलूक होना चाहिए ..कौन नहीं जानता कि देश के सबसे बड़े दुश्मनों का ठिकाना पाक है. उनके पते हैं . उनके खिलाफ सबूत हैं. उनके अड्डों की तस्वीरें हैं ..लेकिन पाक उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उनका इस्तेमाल करके भारत के खिलाफ दशकों से साजिश करता रहा है..तो फिर अगर उनके घर में घुसकर 40-50 को मार आए तो क्या गलत किया ? ये संदेश तो जाना ही चाहिए कि हम इतने कमजोर नहीं है कि सरहद पार से कभी भी , कहीं भी कोई आंतकी दाखिल होकर हमारे जवानों को सिर काट ले या उन्हें मौत की नींद सुला दे या बेकसूरों को बम से उड़ा दे और हम सिर्फ सहते रहें ..पाक को घेरने और दुनिया भर में उसे बेनकाब करने की लंबी रणनीति के साथ साथ ऐसी दूरगामी योजना पर काम होना चाहिए कि युद्द की नौबत भी न आए और हमारे घर में आतंकी भेजने की हिमाकत से भी वो बाज आए.हां, इसमें कोई शक नहीं कि युद्ध से कभी किसी देश का भला नहीं होता…युद्ध और युद्धोन्माद देश हित में नहीं है…
(लेखक के एफबी वॉल से साभार)