आलोक श्रीवास्तव, पत्रकार, आजतक
ll AAP या तुम ? ll
हर तरफ़ ‘आप’ का डंका बज रहा है. पार्टी के लिए सुविधा हो गई है. ABP News कहता है – ”आप’ को रखे आगे’. इंडिया टीवी की टैग लाइन है – ”आप’ की बात’. रजत शर्मा कहते आ रहे हैं – ”आप’ की अदालत’. मार्केटिंग के दौर में, बिना किसी ख़र्च के ‘आप’ का ज़ोरदार प्रोमोशन हो रहा है. वक़्त का तकाज़ा है. ABP News को बाज़ार में तठस्थ बने रहने के लिए ‘आप’ को पीछे रखना होगा. उसे अपनी टैग लाइन ”आप’ को रखे आगे’ बदलनी होगी. तहज़ीब तो ताक पर रख कर कहना होगा – ‘तुम को रखे आगे’. लहज़ा तो इंडिया टीवी को भी बदल लेना चाहिए. रजत साहब को अब ”आप’ की अदालत’ का नाम ‘तुम्हारी अदालत’ कर देना चाहिए. सच तो यह है कि ‘आप-आप’ करने वाले तमीज़ और तहज़ीब के लोगों को अब पार्टी-लाइन से ऊपर उठ कर ‘तुम ही तुम’ कहना चाहिए. यह भी कम दिलचस्प नहीं कि ख़ुद अरविंद केजरीवाल जहां से आते हैं वहां ‘आप’ कहने का कल्चर ही नहीं है. बात हरियाणा की है. जहां ज़ुबान ‘तुम’ और ‘तू’ पर ही खुलती है. दाग़ साहब ने फ़रमाया है –
रंज की जब गुफ़्तगू होने लगी,
आप से तुम, तुम से तू होने लगी.