टीवी पर एवीपी नए कार्यक्रम के साथ है। इसे भारतवर्ष नाम दिया गया है। जिस तरह कभी नेहरूजी की किताब डिस्कवरी आफ इंडिया के आधार पर भारत एक खोज कार्यक्रम श्रंखलाबद्ध दिखाया गया कुछ उस तर्ज पर लेकिन अपनी मौलिक चीजों के साथ इसे प्रस्तुत किया जा रहा है।
भारत एक खोज की तुलना में इसमें फर्क यह है कि इसमें इतिहास के विभिन्न महत्चवपूर्ण चरित्रों को इस तरह सामने लाया गया है कि एक कडी में एक नायक की कथा सामने आए। इस तरह एवीपी के इस कार्यक्रम में अब तक बुद्ध . चाणक्य की ऐतिहासिक संदर्भों को दिखाया गया है। साथ ही यह उस नायक के प्रसंग और घटना संदर्भो पर विशेषज्ञों से संवाद भी कराता है।
यह कार्यक्रम शनिवार को रात दस बजे और रविवार को आठ बजे प्रसारित होता है। एवीपी की यह पहल इसलिए भी अच्छी है कि उसने कहीं न कहीं केवल न्यूज और विश्लेषण आधारित चैनल होने के अपनी प्रकृति को तोडा है। आशा है चैनलों में विविधता के स्वरूप नजर आए।
इतिहास को और उसके घटनाक्रम को समझने महसूस करने के लिए यह अच्छा धारावाहिक है। आज की कड़ी सम्राट अशोक के जीवन पर केंद्रित हैं। यह जरूरी है कि तमाम मनोरंजन, फिल्मी गपशप, सास बहु के झगड़ो. बहस और चीखते चिल्लाते कार्यक्रमों के बीच कोई कार्यक्रम ऐसा भी हो जिसमें हमें अपने इतिहास को जानने समझने का अवसर मिले। खासकर उस युवा पीढ़ी को जो सब कुछ शीघ्रता से समझना चाहती है। जो एक नायक के जीवन को समझने के लिए सात आठ कडि़यों को देखने का इंतजार नहीं कर सकती। यह कार्यक्रम इस मायने में अलग है कि विभिन्न संदर्भों में इसमें विशेषज्ञ अपनी टिप्पणी भी देते हैं। लेकिन इसमें कुछ चीजों पर पड़ताल जरूरी है।
1- क्या इसमें ऐतिहासिक चरित्र केवल राजनीति सत्ता शासन से संबिधत व्यक्ति होंगे या समाज के दूसरे क्षेत्रों से भी। मसलन क्या कबीर , शंकराचार्य , रवीद्र नाथ टेगोर, ध्यानचंद, कृष्णदेव राय, खजुराहो मंदिर सूर्य मंदिर बनाने वाले राजवंशो पर भी वर्णन होगा।
2- भारत एक खोज को प्रस्तुत करने का ढंग बहुत सरस और प्रभावी था। अनुपम खेर को वह लय पकडनी होगी। कड़ी दर कडी कार्यक्रम में तथ्यों का आधार भी देना होगा।
3- च्ंद्रगुप्त और कोटिल्य का पहला परिचय इतिहास में दो तरह से मिलता है। कोटिल्य ने देखा कि बच्चों के बीच एक राजा बना है बाकी प्रजा। और उसके हाव भाव में राजसीपन है। वह राजाओं का आचरण कर रहा है। दूसरी कथा यह है कि एक बच्चा कुश के पौधे में मट्ठा डाल रहा था। चाणक्य ने पूछा तो उसने कहा कि यह मेरे पैर में चुभ गया था। इसे जड से खत्म करना चाहता हूं।चाणक्य को नंद वंश का खात्मा करने वाला शख्स मिल गया था। लेकिन एबीपी के धारावाहिक भारतवर्ष में दिखाया गया कि चाणक्य को एक ऐसा युवा दिखा तो घनानंद के दरबारियों के अत्याचार से लोगों को बचा रहा था। एवीपी को थोड़ा स्पष्ट करना होगा कि उसके घटनाओं को जोडने के अपने आधार क्या है।
4- बुद्ध भगवान के प्रसंग में आम्रपाली की कथा अपना अलग महत्व रखती है। उस काल परिस्थिति का आभास कराती है। अजातशत्रु के जीवन को भी रेखांकित करती है। भारतवर्ष में इस घटना को संदर्भ को हल्के में नही लिया जा सकता। संभव है कि भारतवर्ष सीरियल में आगे कुछ ऐसे प्रसंग उभर कर आए जिससे नई बहस चले।
इतिहास के अवलोकन, रोचकता और प्रसंगों के अवलोकन के लिहाज से यह सीरियल अपनी उत्सुक्ता बनाए रखेगा। इसके पीछे खास तैयारी दिखती है। लेकिन घटनाओं पर टीका समीक्षा जरूरी है। इसलिए जिस जिस तरह से यह सीरियल आगे बढता जाएगा , अच्छा हो इसकी समीक्षा भी हो। क्योंकि भारत वर्ष को अवलोकन करने का इस बहाने अच्छा अवसर है।