मनीष कुमार
फेसबुक और ट्विटर पर दो दिनों से एक कैंपेन चल रहा है कि वाराणसी में नरेंद्र मोदी की जीत की वजह फर्जी वोट है. अक्ल के कुछ अंधों को इंदिरा गांधी और राजनाराय़ण की कहानी याद आने लग गई. सोशल मीडिया में ऐसा माहौल बनाया गया कि जैसे अगर ये फर्जी वोटर्स नहीं होते तो केजरीवाल जीत जाता और मोदी हार जाते. सोशल मीडिया में इस माहौल को बनाने में आम आदमी पार्टी के वेतनभोगी असभ्य कार्यकर्ता और कुछ अवैतनिक स्यवंसेवकों का योगदान रहा. और तो और कुछ कुंठित बैठे टीवी चैनलों ने भी दिखा दिया कि मोदी के वाराणसी में तीन लाख से ज्यादा फर्जी वोटर पाए गए. ये टीवी चैनल वालें हैं. कुछ भी अनर्गल दिखाने का उन्हें हक प्राप्त है. सबसे पहले एबीपी न्यूज ने अपना हक अदा कर दिया. बाद में कुछ लोग टिकर चलाने लग गए. ये सब इसलिए हुआ क्योंकि आम आदमी पार्टी ने फेसबुक पर इसे पोस्ट किया. केजरीवाल ने इसे ट्विट भी कर दिया. अब वो ठहरा दुनिया का एकमात्र ईमानदार आदमी तो उसकी बात आकाशवाणी ही है. इसे कैसे झुठलाया जा सकता है? इसलिए बिना तहकीकात और बिना सच्चाई का पता लगाए इन चैनलों के मंदबुद्धि संपादकों के आदेश पर इस खबर को तान दिया गया.
एनडीटीवी पीछे नहीं था. एनडीटीवी की साख वैसे भी खत्म हो गई है. यह चैनल खबरों को कम दिखाता है और वैचारिक प्रोपागंडा ज्यादा करता है.लेकिन यह मानना पड़ेगा कि यह बाकी चैनलों से ये ज्यादा चतुर है. जब एनडीटीवी ने इस खबर की तहकीकात की तो खेल ही बदल गया. एनडीटीवी के मुताबिक यह खबर ही गलत है. वाराणसी के डीएम प्रांजल यादव (जिनके बारे में कुछ लोग कहते हैं कि इनका मुलायम यादव से परिवारिक संबंध हैं) ने इस खबर को गलत करार दिया. उनके मुताबिक बनारस के वोटर लिस्ट में से करीब 25 हजार फर्जी नामों को हटाया गया है.
पहले जरा समझते हैं कि ये फर्जी वोटर है क्या? एक तो कांग्रेसी स्टाइल के फर्जी वोटर्स होते हैं. वैसे वोटर्स, जिनका कोई आस्तित्व नहीं होता. वो काल्पनिक लोग होते हैं. वैसे लोग जो असलियत में होते नहीं है लेकिन लिस्ट में उनका नाम होता है. दूसरे किस्म के फर्जी वोटर्स वो हैं जैसे कि बंग्लादेशी. जो देश के नागरिक नहीं होते लेकिन वोटर लिस्ट में नाम होता है. बनारस में जिसे फर्जी वोटर कहा जा रहा है वो दरअसल, डुप्लीकेशन है. उदाहरण के तौर पर, आप बनारस के निवासी हैं लेकिन दिल्ली में नौकरी कर रहे हैं तो आप दिल्ली में भी मतदाता बन गए और बनारस वाला कैंसिल नहीं कराया तो वहां की भी लिस्ट में आपका नाम है. यह मामला डुप्लीकेशन है लेकिन आम आदमी पार्टी के लोगों ने इसे फर्जी घोषित कर दिया. ठीक है. अगर यही दलील है तो अरविंद केजरीवाल भी फर्जी मतदाता हैं. जिनकी यादाश्त कमजोर है वो गुगल करें तो पता चलेगा कि केजरीवाल भी यही काम करते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय पकड़े गए थे. इन बेचारों का दो जगह नाम है.. केजरीवाल का तो तीन तीन जगह नाम था. उस वक्त तो वो भूलचूक लेनीदेनी और तकनीकि का मामला बता कर इसे रफा दफा कर रहे थे लेकिन आज ये ड्रामा कर रहे हैं.
अब जरा, हार से बिलबिलाए ये आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक की मूर्खता देखिए. ये कह रहे हैं कि मोदी बनारस में फर्जी वोटों की वजह से जीत गए. पहली बात कि ये मामला डुप्लीकेशन का है. दूसरी बात यह है कि ये समाचार पत्रों का हवाला देकर यह दावा कर रहे हैं कि बनारस में 311057 फर्जी वोटर मिले हैं. अगर ये मान भी लेते हैं तब भी चुनाव नतीजे पर कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि नरेंद्र मोदी ने 371784 वोटों से जीत हासिल की थी. और तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि यह किसने केजरीवाल को बता दिया कि जितने भी फर्जी वोटर मिले हैं उनमें से सब ने न सिर्फ वोट दिया है बल्कि उन्होंने सिर्फ मोदी को वोट दिया. ये भी तो हो सकता है कि 311057 तथाकथित फर्जी वोटरों की वजह से केजरीवाल की जमानत बच गई.
इसके बाद आम आदमी पार्टी के लोगो ने सोशल मीडिया में यह फैलाया कि चुनाव आयोग घर घर जाकर वोटर लिस्ट की तहकीकात कर रहा हैं. यह भी सफेद झूठ है. दरअसल, वोटर लिस्ट की सत्यापन के लिए चुनाव आयोग ने एक नया सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसके ज़रिये डुप्लीकेट वोटरों को हटाया जा रहा है. बनारस के डीएम का कहना है कि वाराणसी में 23600 नाम ऐसे पाए गए हैं जो अब यहां नहीं रहते हैं.
अब जरा उस खबर की तहकीकात करते हैं जहां से आम आदमी पार्टी की सोशल मीडिया गैंग ने उठाया है. इस खबर के साथ भी आम आदमी पार्टी के लोगों ने फर्जीवाड़ा किया है. यह खबर कुछ अखबार में छपी. इन अखबारों में कौमी-किस्म की पत्रकार-प्रजाति मौजूद हैं जिन्होंने इस खबर को ट्विस्ट कर दिया. यह बताना भूल गए कि उत्तर प्रदेश में डुप्लीकेट वोटर्स की संख्या तीन करोड़ से ज्यादा है. इनमें मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में 970690 वोटर्स, सोनिया गांधी के रायबरेली में 531016 तो राहुल गांधी के अमेठी 325987 वोटर्स और पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जौनपुर संसदीय क्षेत्र में 1068807 फर्जी वोटर मिले हैं. इसी तरह उत्तर प्रदेश के हर सीट में लाख से उपर डुप्लीकेट वोटर्स पाए गए हैं. ये सवाल कोई नहीं उठा रहा है कि मुलायम सोनिया और राहुल फर्जी वोट से जीते जबकि इन तीनों के संसदीय क्षेत्र में बनारस से ज्यादा फर्जी वोटर मिलें हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी और उनके अवैतनिक कार्यकर्ता-पत्रकारों ने क्या खबर बनाई.. कि अगर ये फर्जी वोटर्स नहीं होते तो केजरीवाल जीत गया होता..
अरविंद केजरीवाल से बस इतना ही कहा जा सकता है कि राजनीति एक गंभीर पेशा है. बच्चों जैसी हरकतें करना बंद करो..
(लेखक चौथी दुनिया से जुड़े हुए हैं)
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