नदीम एस.अख्तर
इतना हंगामा क्यों है भाई !!! आम आदमी पार्टी या उसके लोग क्या मंगल ग्रह से धरती पर टपके थे जो उनसे आप एक नई भारतीय राजनीति की उम्मीद लगाए बैठे थे !!!
केजरीवाल ने जब अपने दोस्तों से हजारों का “चंदा” लेकर सीएम पद छोड़ने के बाद भी सरकारी बंगला खाली नहीं किया था, तभी मैंने कह दिया था कि ये लोग भी वही लकीर के फकीर हैं. हां, दिल्ली चुनाव में केजरीवाल को जीतते इसलिए देखना चाहता था कि बीजेपी और अंततः नरेंद्र मोदी की अजेय मानी जाने वाली ताकत को आइना दिखाया जा सके.
केजरीवाल हों, योगेंद्र यादव हों, संजय सिंह हों या फिर प्रशांत-शांति भूषण. दूध का धुला कौन है !!! कहीं तो आग लगी होगी जो ये धुआं उठ रहा है. उठने दीजिए..किसे फर्क पड़ता है. इस देश के सियासी अखाड़े में एक और राजनीतिक दुकान जमी और फिर जूतमपैजार हुआ. तो इसमें आश्चर्य क्या है !!!
किस पे आपको विश्वास था जो टूट गया !!! केजरीवाल सीएम होने के बावजूद अनशन करते हैं, धरना देते हैं तो आप कहते हैं कि उसे राजनीति नहीं आती. सीएम ऐसा करेगा क्या ?? सोमनाथ भारती दिल्ली के कानून मंत्री होने के बावजूद खुलेआम दिल्ली पुलिस से पंगा ले लेते हैं, लोगों की शिकायत पर खुद मौके पे पहुंच जाते हैं तो आप कहते हैं कि कानून मंत्री अब डंडा लेकर घूमेगा क्या?? उसका यही काम रह गया है ??!!
मतलब आप यही चाहते थे ना कि आम आदमी पार्टी के सीएम और बाकी मंत्री अपने बंगले में बैठकर फोन घुमाने-फाइल भेजने-चिट्ठी लिखने का उसी तरह का नाटक करे, जो दूसरी राजनीतिक पार्टियों के नेता-मंत्री आजादी के बाद से करते आए हैं.
तो ठीक है. अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने ये सब सीख लिया है अब. वो भी शासन करना सीख गए हैं. राजनीति सीख गए हैं. घाघ बन गए हैं. साम-दाम-दंड-भेद की नीति का पालन-अनुपालन जान गए हैं. आप भी तो यही चाहते थे ना !
फिर ये हंगामा है क्यों बरपा भाई !!! क्या गलत हो गया !!! कौन अंदर था जो बाहर हो गया !! देश सेवा और समाज सेवा ही तो करनी है ना. करिए ना. किसने रोका है. राजनीति में आकर-रहकर या नेता बनकर ही करेंगे क्या ??!!! और अगर राजनीति में रहकर ही करना है तो फिर एक नई पार्टी बना लीजिए. किसने रोका है आपको ?? स्यापा क्यों कर रहे हैं भाई ??!!!
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