आजतक के स्टिंग ऑपरेशन ने पत्रकारों के लिए एक कब्र खोद दी

आजतक के स्टिंग ऑपरेशन पर पत्रकार पाणिनि आनंद / रजनीश के झा की एक टिप्पणी :

आजतक पर पुण्य प्रसून
आजतक पर पुण्य प्रसून
Panini Anand
आप अपने घर पर अंबानी का अल्फांज़ो खाएं तो एक कैमरा ज़रूर लगाइएगा अबकी बार. हो सके तो लाइव उसी कटोरे से पैन करके उठा दीजिएगा. प्रिंट और इलेक्ट्रानिक के पत्रकारों के लिए एक कब्र आपने खोद दी है. कई पुलिस अधिकारी सच्चाई बोलने के लिए अब कान पकड़कर बाहर होंगे और आपको बोनस मिलेगा. इतना बड़ा स्टिंग जो किया है आपने. जिससे न तो सपा, भाजपा का कोई नेता बर्खास्त होगा और न ही दंगों की राजनीति रुकेगी. मरोड़ी जाएगी सच बोलने वाले अधिकारियों की गर्दन और आपके पास उनके लिए न नौकरी है, न प्रतिरक्षा. आपके लिए दंगा प्रभावित इलाके का अधिकारी और पुलिसिए एक टिसू पेपर हैं जिससे आप पोछेंगे और फेंक देंगे. आपकी दुकान चल गई. सच बताने के तरीके तब नहीं इजात हुए जब कैमरा आया. अरे सदियों से सच बताया जाता रहा है. कैमरा सच का धंधा करा रहा है. करते रहिए धंधा. सच के नाम पर दुकान चालू आहे.

आपको जो सच बताए यह सोचकर कि यह ऑफ दि रिकॉर्ड है, उसे आप ऑन रिकॉर्ड कर दें. यह पत्रकारिता नहीं है. दूसरे यह कि ई दरोगा दरोगी को कउनो पुन्न पंडित मदद करने नहीं आएंगे. विश्वसनीयता की शुरुआत ही विश्वासघात से. बनारस में कहते हैं, पार कराए रस्ता, जेबौ से गएन. आपको हमको सबको पता है कि स्टिंग शिरोमणि को दंगों से कितना मरोड़ उठा है. कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं खाद देखकर.

यह स्टिंग कई सच सामने लाता है लेकिन जिस कदर ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है, उसे चूतियापे के अलावा क्या कहा जा सकता है.

रजनीश के झा
पत्रकारिता में पत्रकारों को अब शायद ही कोई सूत्र मिले या फिर खबर में सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ नामक वाक्य गायब मिलें, दीपक शर्मा का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा अरुण पूरी के लिए टी आर पी का जुगाड़ जो कर दिया मगर जिसने ऑफ़ द रिकार्ड सूचना मुहैय्या करवाई उसी के पीठ में छुरा ……..राजनीति की तरह दोयम होती पत्रकारिता जिसमें आज भी विश्वास पत्रकार का नहीं सूत्र का होता है उसी सूत्र के निर्मम ह्त्या का पाप पत्रकारिता के किस अध्याय में शामिल होगा ?

(एफबी से साभार)

1 COMMENT

  1. कवाल गाव में 27 अगस्त को सचिन अपनी बहनों के साथ स्कूल से आ रहा था क्योंकि कवाल गाव का शहनवाज़ कुरैशी नाम का लड़का उनको छेड़ता था उसको पहले भी एक बार समझाया था पर वो नहीं माना, हद तो तब हो गयी जब उस दिन उसने सचिन के सामने ही उसकी बहन को गलत शब्दों का इस्तेमाल किया इस बात पर सचिन और शहनवाज की तीखी बहस हुई और सचिन ये कहकर वहा से चला गया की तुझको अभी बताउगा और वह अपनी मुमेरे भाई गौरव को साथ ले कर आ गया शाहनवाज़ को पहले ही पता था की वह जरुर वापस आएगा इसलिय उसने पहले ही 10-12 लड़के इकठे कर लिय 15-20 मिनट मैं सचिन और गौरव कवाल पहुच गये , उसके बाद गौरव और शहनवाज़ मैं बहस हुई गौरव बोला की तू ऐसा क्यों करता है शहनवाज़ बोला अभी तो छेड़ा ही है अभी आगे तो मै तेरी ही नही जाटो की हर लडकियों को चो…गा भी |

    इस पर शहनवाज और गौरव में हाथापाई हो गई इस दोरान शहनवाज़ ने कट्टे से फायर कर दिया जो की बैक फायर से शहनवाज को उल्टा लग गया इस पर गौरव और सचिन पूरी तरह डर गये और भागने की कोसिस की गई परन्तु भाग न सके शहनवाज़ के भाई व साथियों ने उनको घेर लिया और उनको डंडो से पिटे जाने लगा वो कभी इधर भागते कभी उधर कभी नाली मैं गिरते कभी सड़क पर दस बारह जनो के सामने वो बेबस हो गये फिर शहनवाज के भाई व साथियों ने उनको बहुत मारा इतना की वो अधमरे हो गये उसके बाद शाहनवाज ने भाई ने उनके सिने पर चड़कर उनकी सांसो की डोर काटी और सर पर चक्की के बाट से प्रहार करते रहे जब तक की वो पूरी तरह से मर नहीं गये, ये खबर आग की तरह पुरे मुजफ्फरनगर नगर मैं फ़ैल गई जिसके बाद जानसठ के SHO और SDM ने कवाल गाव को चारो तरफ से नाकाबंदी करवा दी जिसमे शहनवाज़ के दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किये गये 12 लोग थे और कवाल गॉव के एक एक घर की तलासी ली गई ये खबर समाजवादी पार्टी के नेताओ को पता लगी तथा वहां के सांसद कदीर राणा को भी पता लगी जिसमे बसपा सांसद कदीर राणा व् समाजवादी पार्टी अन्य मुस्लिम नेताओ ने DM पर दबाब बनाया की वह उनके खिलाफ कोई कार्यवाही न करे, उनसे कहा गया की वो अपनी FIR मे ये दिखा दे की गौरव और सचिन को भीड़ ने मारा है तथा शहनवाज़ को गौरव , सचिन व् अन्य उनके परिजनों ने मारा है जिसमे की गौरव व् सचिन को भीड़ ने मार दिया वाकी फरार हो गये , जिसके लिय डीएम और SHO ने माना कर दिया जिस कारन उनका 2 घंटे के अन्दर आज़म खान ने ट्रांसफर कर दिया , नये DM ने आकर रात को उनको छुड़वा दिया

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