वेद उनियाल
बिहार में लल्लन जिस तरह टाप किए, लालू के बच्चों का टेस्ट हो जाए तो शायद लंल्लन भी शर्मिंदा हो जाएं। बिहार को बर्बाद करने में लालू ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन दुर्भाग्य है कि बिहार में जातिवादी राजनीति ने फिर उसी लालू को ताकत सौंपी। यहां तक कि मीडिया का एक वर्ग भी पूरी शक्ति से जुट गया कि लालू सर ही वापस आने चाहिेए।
बिहार को कहां पहुंचना था वो कहां रसातल में जा रहा है। सवाल यही है कि जिस लालू प्रसाद यादव ने राज्य को पंद्रह साल बर्बादी के दिए, क्यों उसके लिए कुछ लोग इतने उत्साहित थे। यहां तक कि मीडिया का एक वर्ग भी। क्या यही दिन देखने के लिए। अभी तो लल्लन टापर दिखे हैं। पांच साल में न जाने क्या क्या दृश्य दिखेंगे। बिहार में सत्ता किसी के भी पास होती लेकिन लालू परिवार के पास बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। पूरा यकीन लालू परिवार के जो चार लोग मत्री सासंद बन गए वो बिहार की तकदीर बनाने के लिए नहीं है। वो बिहार के पंद्रह साल के सर्वनाश की कहानी को आगे बढाने के लिए है। नितिश और लालू का समझौता यही डराता था। नितिश मुख्यमंत्री तो बन गए लेकिन लालू के साए में मुश्किलें ही मुश्किलें हैं।
आज तक ने एक विस्तृत रिपोर्ट दिखाई है। उम्मीद है दूसरे टीवी चैनल भी शिक्षा और दूसरे क्षेत्रों में भी फैले इस तंत्र को उजागर करती और सजग करती कोई बेहतर रिपोर्ट पेश करेंगे।
@fb