दिल्ली. 500 और 1000 के नोटबंदी से देशभर में हंगामा मचा हुआ है. कई नेताओं ने इसे तुगलकी फरमान तक कह डाला. कईयों ने गरीबों का हवाला देकर सरकार के इस कदम को अनुचित ठहराया. कुछ नेताओं ने इसे आर्थिक आपातकाल तक की संज्ञा दे डाली. बैंको में लोग लंबी कतार में खड़े हैं. सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ.
लेकिन दिल्ली के द्वारका इलाके में रहने वाले रहीश भाई इन सबसे अनजान हैं. उन्हें न 500 रूपये का और न 1000 के नोट का कोई टेंशन है.वे बेफिक्री से गैस चूल्हे,कूकर आदि रिपयेरिंग का काम घर-घर घूमकर कर रहे हैं.
पूछने पर कहते हैं कि गरीबों का इन सबसे क्या मतलब? 500 और 1000 के नोट तो अमीरों के पास होते हैं. हम सौ- पचास कमाने वाले गरीब 500 और 1000 की फ़िक्र क्यों करें?
रहीस आगे बताते हैं कि यदि उनके पास 500 और 1000 के नोट होते भी तो भी वे बैंक नहीं जा पाते. क्योंकि बैंक में उनका खाता नहीं और परिचय पत्र भी नहीं. और फिर लंबी लाइन में कौन खड़ा होगा? गरीब पैसा बदलेगा या फिर रोजी – रोटी की तलाश करेगा.
एक दिलचस्प वाक्ये का जिक्र करते हुए रहीस बताते हैं कि द्वारका(दिल्ली) के समृद्धि अपार्टमेंट के पास लाल रंग की कार से कल एक औरत आयी थी जिसने टेलर से लेकर रिक्शावालों तक में 500 – 1000 के नोट बांटे. सबको 2000 रूपये दान में दिए.पूछने पर उस औरत ने सिर्फ इतना कहा कि आज दिनभर यही काम करना है. रहीस ने मुस्कुराते हुए बताया कि उन्होंने उस औरत से पैसे नहीं लिए. क्योंकि बैंक जाकर उसे बदलना उन्हें बड़ा झंझट का काम लगता है. वे अपने सौ-पचास से खुश है. आमीन.