युगल पाण्डेय-
नई दिल्ली (साई)। काला धन पर रोक लगाने के साथ सत्ता में आयी मोदी सरकार पर एक आर.टी.आई.में पूछे गये सवालों ने मोदी सरकार पर कई सवालिया निशान खड़े किये हैं। नोटबंदी को लेकर विपक्ष के कठघरे में खड़ी भाजपा सरकार इस खुलासे के बाद और घिर सकती है। आर.टी.आई.के मुताबिक मोदी सरकार ने पिछले ढाई सालों के भीतर अपने प्रचार प्रसार पर 11 अरब रूपये से ज्यादा खर्च किये हैं।
ग्रेटर नोएडा के आर.टी.आई. एक्टिविस्ट रामवीर तंवर ने 29 अगस्त 2016 को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से सूचना के अधिकार के जरिये पूछा था कि केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार बनाने से लेकर अगस्त 2016 तक विज्ञापन पर कितना सरकारी पैसा खर्च किया है। तीन माह बाद आर.टी.आई.के जरिये मिले इस जवाब को देखकर आप जरूर चौंक जायेंगे। इसमें बताया गया है कि पिछले ढाई साल में मोदी सरकार के द्वारा विज्ञापन पर ग्यारह अरब रूपये से भी ज्यादा खर्च किये जा चुके हैं।
आर.टी.आई. के जरिये मंत्रालय से मिले विज्ञापन की जानकारी में बताया गया है कि ब्रॉडकास्ट, कम्युनिटी रेडियो, इंटरनेट, दूरदर्शन, डिजिटल सिनेमा, प्रोडॅक्शन, टेलीकास्ट, एसएमएस के अलावा अन्य खर्च शामिल हैं। इनमें पिछले तीन सालों में मोदी सरकार की ओर से करीब ग्यारह अरब से भी ज्यादा रुपया खर्च किया गया है।
बताया जाता है कि आरटीआई के तहत निकाली गयी जानकारी के अनुसार एसएमएस में 2014 में 9.07 करोड़ रूपये, 2016 में 5.15 करोड़ रूपये एवं 01 अप्रैल 2016 से अगस्त 2016 तक 3.86 करोड़ रूपये इस मद में व्यय किये गये हैं। इसी तरह इंटरनेट पर 2014 में 6. 61 करोड़ रूपये, 2015 में 14.13 करोड़ रूपये, अगस्त 2016 तक कुल 1.99 करोड़ रूपये व्यय किये गये।
वहीं, ब्रॉडकास्ट मीडिया पर 2014 में 64.39 करोड़ रूपये, 2015 में 94.54 करोड़ रूपये एवं एक अपै्रल से अगस्त 2016 तक कुल 40.63 करोड़ रूपये व्यय किये गये। कम्युनिटी रेडियो में 2014 में 88.40 लाख रूपये, 2015 में 2.27 करोड़ रूपये एवं इस साल एक अपै्रल से अगस्त 2016 तक 81.45 लाख रूपये खर्च हुए हैं।
बताया जाता है कि आरटीआई के तहत निकली जानकारी में डिजिटल सिनेमा पर 2014 में 77 करोड़ रूपये, 2015 में 1.06 अरब रूपये एवं इस साल अगस्त तक 6.23 करोड़ रूपये व्यय किये जा चुके हैं। टेलीकास्ट पर 2014 में 2.36 अरब रूपये, 2015 में 2.45 अरब रूपये एवं इस साल अगस्त तक 38.71 करोड़ रूपये व्यय किये जा चुके हैं। वहीं, प्रोडॅक्शन पर 2014 में 8.20 करोड़ रूपये, 2015 में 13.90 करोड़ रूपये एवं इस साल अगस्त तक 1.29 करोड़ रूपये खर्च किये गये हैं।
कुल मिलाकर इन आंकड़ों पर अगर गौर किया जाये तो तीन सालों में कुल 11 अरब से ज्यादा खर्च किये गये हैं। प्रधानमंत्री की छवि संवारने के लिये। 2014 में एक जून 2014 से 31 मार्च 2015 तक करीब 4.48 अरब रूपये खर्च किये गये हैं। 2015 में 01 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक 5.42 अरब रूपये व्यय हुए एवं 2016 में 01 अप्रैल 2016 से 31 अगस्त 2016 तक 1.20 अरब रूपये खर्च हो चुके हैं।
इस मामले में आर.टी.आई. एक्टीविस्ट रामवीर तंवर ने कहा कि सुना करते थे कि मोदी चाय के पैसे भी खुद दिया करते थे। ऐसे में मन में विज्ञापन को लेकर सवाल उठने पर आर.टी.आई. लगायी गयी थी। अंदाजा ये था कि मोदी के विज्ञापनों पर 05 से 10 करोड़ रूपये का खर्चा किया होगा, लेकिन, ढाई साल में 1100 करोड़ रूपये खर्च करने का पता लगने के बाद से निराशा महसूस हुई है।
उन्होंने कहा कि जब ढाई साल में 1100 सौ करोड़ का खर्च आया है केवल विज्ञापन पर तो पूरे पांच साल में नरेन्द्र मोदी के विज्ञापनों पर 3000 हजार करोड़ का खर्च आ सकता है। इसकी तुलना उन्होंने अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी की और कहा कि वहां सरकार के चुनाव प्रचार में 800 करोड़ रूपये खर्च किये गये हैं, जबकि भारत देश में एक केंद्र सरकार ने इतना पैसा खर्च कर दिया ये बहुत ही निंदनीय है। अगर इन पैसों को जनता के काम में लगाया जाता तो, ज्यादा बेहतर होता।